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आगरा में बांग्लादेशियों ने बसा रखी थी बस्ती, 32 गिरफ्तार; 200 से ज्‍यादा पर शिकंजा कसने की तैयारी 

आगरा की आवास विकास कॉलोनी सेक्टर 14 (सिकंदरा) में बांग्लादेशियों ने बस्ती बसा ली थी। इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के इनपुट पर शनिवार की रात सिकंदरा पुलिस ने बस्ती में छापा मारकर 32 लोगों को पकड़ा है।

आगरा में बांग्लादेशियों ने बसा रखी थी बस्ती, 32 गिरफ्तार; 200 से ज्‍यादा पर शिकंजा कसने की तैयारी 
Ajay Singhप्रमुख संवाददाता ,आगराMon, 06 Feb 2023 11:06 AM
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आगरा की आवास विकास कॉलोनी सेक्टर 14 (सिकंदरा) में बांग्लादेशियों ने बस्ती बसा ली थी। इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के इनपुट पर शनिवार की रात सिकंदरा पुलिस ने बस्ती में छापा मारा। मौके से 13 महिलाएं, 15 पुरुष और 12 साल से अधिक उम्र वाले चार बाल अपचारी को गिरफ्तार किया गया। एक साल से सात साल की उम्र वाले आठ बच्चे भी पकड़े गए। उन्हें आरोपित नहीं बनाया गया है। वे बिना मुकदमे माता-पिता के साथ जेल भेजे गए हैं।

पकड़े गए बांग्लादेशियों ने फर्जी तरीके से अपने आधार कार्ड बनवा लिए थे। भारतीय बनकर रह रहे थे। कबाड़ और कूड़ा बीनने का काम करते थे। जी-20 देशों के प्रतिनिधिमंडल को आगरा आना है। तैयारियां चल रही हैं। सुरक्षा के लिए खुफिया एजेंसियों को अलर्ट किया गया है। पिछले चार माह से आईबी बांग्लादेशी घुसपैठियों पर काम कर रही थी। चार लोग पासपोर्ट पर वीजा लेकर बांग्लादेश से आए थे। उनके रुकने के ठिकाने की छानबीन से इंटेलिजेंस ब्यूरो ने सुराग जुटाए।

200 से ज्यादा बांग्लादेशियों पर शिकंजा कसने के करीब आईबी
ताजनगरी में शनिवार देर रात 32 बांग्लादेशी घुसपैठिया पकड़े गए। 200 से अधिक बांग्लादेशी अभी आगरा में और रह रहे हैं। आईबी उन पर शिकंजे के लिए गोपनीय रूप से काम कर रही है। कार्रवाई ने एक बार फिर लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) की सक्रियता पर सवाल उठा है। अक्तूबर 2019 में सिकंदरा के रुनकता क्षेत्र में बंग्लादेशियों की बस्ती पकड़ी गई थी। बस्ती बसाने वाला ठेकेदार बन गया था। उसने आगरा में प्लाट तक खरीद लिए थे।

आवास विकास कालोनी सेक्टर 14 में पकड़ी गई बस्ती बांग्लादेशी हलीम की देन है। वह वर्ष 2009 में भारत आया था। उसके पास तुलसी बाग, दयालबाग के पते पर पैनकार्ड बनवाया था। उसके बाद आधार कार्ड बनवाया।

चार नाबालिग भी पेश किए पुलिस ने बताया कि पकड़े गए 12 बच्चों में चार की उम्र 12 साल से अधिक है। उन्हें किशोर न्यायालय के समक्ष पेश किया। उन्हें बाल सुधार गृह भेजा गया है। अन्य आठ बच्चों की उम्र 7 साल और उससे कम हैं। वे अपने अभिभावकों के साथ जेल जाएंगे। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। सात साल से कम उम्र के बच्चों को मां के साथ जेल जाने की अनुमति मिल जाती है।

छापे केदौरान इनकी हुई गिरफ्तारी
हालिम (बरौरहाट, बंग्लादेश), फारुख, जूएल शेख, गोबिंदो, हसन, मनीरुल शेख, शिराज शेख, कुरबान शेख, बिश्ती पत्नी बिलाल, सुनाली पत्नी शिराज, जोशीना खातून पत्नी मनीरूल शेख, ब्यूटी पत्नी फारूक (जिला खुलना), रविउल शेख, सूमी पत्नी रविउल शेख (जिला नदिया), साबिर, रुस्तम शेख, जूली पत्नी साविरक, राशिदा पत्नी बाबू शेख, रोशनआरा पत्नी अफजल, रहीमा पत्नी रहीश व शलमा पत्नी बक्कल (जिला उभयनगर), मोहम्मद बबलू, बिलाल, परवेज शेख, फातिमा शेख पत्नी बबलू खान, मोबिना पत्नी असलम, प्रिया पत्नी परवेज शेख (जिला जसौर) के निवासी हैं।

सबसे पुराना है हालिम
पकड़ा गया हालिम बस्ती में नहीं रहता। कैलाश मोड़ के पास किराए पर मकान ले रखा है। वह 12 साल से रह रहा है। हाईवे स्थित एक नर्सिंग होम में 18 हजार रुपये महीने की नौकरी करता है। हाल ही में उसने अपनी पत्नी और बेटी को आगरा बुलवाया था। दोनों पासपोर्ट और वीजा पर आए थे।

पासपोर्ट-वीजा भी मिला
पुलिस ने बताया कि हालिम की पत्नी और बच्चे के अलावा दो और लोगों के पास पासपोर्ट और वीजा मिला। वे वैध तरीके से भारत में आए थे। इसलिए उन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। सूत्रों की मानें तो हालिम की पत्नी के आगमन के बाद ही खुफिया एजेंसियों ने हालिम को शक के घेरे में लिया था।

डीसीपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि 32 बांग्लादेशियों को पकड़ा गया है। बच्चों को बाल संप्रेक्षण गृह भेजा गया है। अन्य को जिला जेल भेजा गया है। सात साल से कम उम्र वाले बच्चे नियमत अभिभावक के साथ जेल में रह सकते हैं। आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस उस एजेंट की तलाश कर रही है जो आधार कार्ड बनवाने में इनकी मदद करता था। 

आधार कार्ड बनवाना मुश्किल काम नहीं
पुलिस ने उससे पूछा कि यह कैसे बनवाया। उसने बताया कि आधार कार्ड बनवाना कोई मुश्किल काम नहीं है। पैन कार्ड बनवाने में उसे एक हजार रुपये खर्च हुए थे। उसके बाद उसने बैंक में खाता खोला। एक एलआईसी कराई। पासबुक और एलआईसी की रसीद ने आईडी प्रूफ का काम करना शुरू कर दिया। उनके जरिए उसका आधार कार्ड बना। अब वह यह खेल सीख गया था। एक-दो एजेंट हैं। जो आधार कार्ड बनवाने में उनकी मदद करते हैं। पकड़े गए बंग्लादेशियों के आधार कार्ड अलग-अलग पते के हैं।

हवाला से भेजते थे अपने घरों पर पैसा
डीसीपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि इंस्पेक्टर सिकंदरा आनंद साही ने बंग्लादेशियों से विस्तृत पूछताछ की। आरोपियों ने बताया कि वे बंग्लादेश में अपने परिवारीजनों को हवाला के जरिए रुपये भेजा करते थे। उनके परिवारीजन इतने हाईटेक नहीं हैं कि उन्हें ऑनलाइन रकम ट्रांसफर कर सकें। हवाला के जरिए आराम से घरवालों को टका में भुगतान मिल जाया करता था। भारतीय एक रुपया बंग्लादेश में 1.36 टका के बराबर होता है। बताया कि बस्ती में टोरंट से बिजली के कनेक्शन ले रखे हैं।

दो प्लाट खरीद लिए थे वर्ष 2019 में
रुनकता के पास खाली प्लाट में बंग्लादेशियों ने अपनी बस्ती बसाई थी। ठेकेदार सईदउल गाजी को पकड़ा गया था। उसने अपना पक्का मकान बना लिया था। दो प्लाट खरीद लिए थे। कबाड़ का बड़ा काम करने लगा था। खुद की दो गाड़ियां भी थीं। हलीम भी उसके नक्शे कदम पर चल रहा था। वह चोरी छिपे सेक्टर 14 स्थित अवैध बस्ती में जाया करता था। हलीम ने बताया कि जहां बंग्लोदशियों ने झुग्गी-झोंपड़ी बना रखी हैं वह जगह विवादित है। एक व्यक्ति से उन्होंने किराए पर ले रखी है। एक हजार रुपये महीना पर।

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