देशी शराब की लागत कम तो कीमत ज्यादा क्यों?, यूपी विधान परिषद में उठा सवाल, मिला ये जवाब
यूपी विधान परिषद में देसी शराब की कीमत का मुद्दा उठा। सवाल था कि देसी शराब बनाने की लागत इतनी कम है तो फिर उसकी एमआरपी इतनी ज्यादा क्यों है? राज्यमंत्री नितिन अग्रवाल ने इसका जवाब दिया।
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यूपी विधान परिषद में देसी शराब की कीमत का मुद्दा उठा। सवाल पूछा गया कि देशी शराब के 200 एमएल (36%) पाउच की लागत 4.95 रुपये है लेकिन इसका अधिकतम फुटकर मूल्य 65 रुपये, 25% की लागत 4.38 व एमआरपी 50 रु., 42% की लागत 5.30 रु. व एमआरपी 75 रुपये और यूपीएमल की लागत 9.17 और एमआरपी 80 रुपये है। यह जानकारी आबकारी राज्यमंत्री नितिन अग्रवाल ने मंगलवार को विधान परिषद में दी।
बसपा सदस्य डा. भीमराव अम्बेडकर के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एमआरपी में परिवहन व्यय, गोदाम, थोक विक्रेता के लाइसेंस की फीस, उसका लाभ, इन्डेंट की राशि पर ब्याज, फुटकर विक्रेता का लाभ आदि जोड़ते हुए एमआरपी का निर्धारण होता है। वहीं नितिन अग्रवाल ने सपा सदस्य आशुतोष सिन्हा के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वाराणसी में पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित शराब की दुकान बंद कराने की कोई योजना नहीं है। इस मार्ग पर 54 दुकाने हैं जिसमें 2022-23 में 93 करोड़ रुपये के राजस्व आने का अनुमान है। वाराणसी में मंदिर की एक किमी व गंगा नदी के ईदगिर्द आधा किमी की परिधि में शराब की दुकाने नहीं है।
सपा सदस्य मानसिंह यादव ने जहरीली शराब पर प्रश्न पूछा जिस पर श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में हम हर महीने 10-12 दिन प्रवर्तन अभियान चला रहे हैं। नई सरकार बनने के बाद जहरीली शराब की कोई घटना नहीं हुई है। हमने इसके लिए कठोर दण्ड की व्यवस्था की है।
डा. अम्बेडकर ने कहा कि सरकार अनाज मुफ्त दे रही है फिर शराब से वसूल ले रही है। ये कैसी नीति है। जिस पर अग्रवाल ने कहा कि अनाज अनिवार्य है जबकि शराब नहीं। वहीं आशुतोष सिन्हा ने पूछा कि क्या आबकारी मंत्री को पता है कि मंदिर परिक्रमा में कौन-कौन से मंदिर है जिस पर सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने जवाब दिया कि यह आबकारी विभाग का विषय नहीं है। इस पर चुटकी लेते हुए पूर्व मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि यह धर्मार्थ कार्य विभाग का काम है, जिसे सपा सरकार ने लगभग बंद कर दिया था।