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UPSC के लिए खुद नौकरी छोड़़ी और घर वालों ने टीवी देखना, जानिए क्या है IAS सेेकंड टॉपर जागृति के संघर्ष की कहानी

जिंदगी में कुछ भी करने की ठान लें तो कोई भी काम असंभव नहीं। इस कहावत को चरितार्थ किया है फतेहपुर के एक छोटे से गांव की जागृति अवस्थी ने। कुछ करने का जुनून और लगन ही थी जिसने उन्हें आज बुलंदियों पर...

UPSC के लिए खुद नौकरी छोड़़ी और घर वालों ने टीवी देखना, जानिए क्या है IAS सेेकंड टॉपर जागृति के संघर्ष की कहानी
संवाददाता ,फतेहपुर Sat, 25 Sep 2021 10:02 PM

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जिंदगी में कुछ भी करने की ठान लें तो कोई भी काम असंभव नहीं। इस कहावत को चरितार्थ किया है फतेहपुर के एक छोटे से गांव की जागृति अवस्थी ने। कुछ करने का जुनून और लगन ही थी जिसने उन्हें आज बुलंदियों पर पहुंचा दिया। मूलरूप से नशेनिया गांव की रहने वाली जागृति ने सिविल सर्विसेज परीक्षा-2020 में ऑल इंडिया दूसरी रैंक लाकर न सिर्फ माता-पिता का, बल्कि फतेहपुर का नाम भी रोशन कर दिया। इसकी जानकारी होते ही गांव में जश्न का माहौल छा गया। हालांकि वह अपने माता-पिता के साथ भोपाल में रहती हैं। हिन्दुस्तान के साथ मोबाइल पर बातचीत के दौरान जागृति ने बताया कि जीवन में कभी हार नहीं मानी। परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए जितने घंटे पढ़ाई की, पूरी लगन के साथ की।

 नशेनिया निवासी डॉ. सुरेश चन्द्र अवस्थी भोपाल मेडिकल कालेज में प्रोफेसर हैं। मां मधुलता अवस्थी खेल शिक्षिका थीं। इस्तीफा देने के बाद सफल गृहिणी का काम संभाल रही हैं। सुरेश अवस्थी की पुत्री जागृति ने भोपाल के महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय से वर्ष 2010 में हाईस्कूल एवं 2012 में इंटरमीडियट  की पढ़ाई पूरी की। मैकेनिकल ट्रेड से बीई किया और गेट क्वालीफाई करते हुए भेल में टेक्निकल ऑफिसर के रूप में चयन हुआ। इसके बावजूद उनका सफलता का रास्ता नहीं रुका। आईएएस बनने का सपना संजोए रखा और नौकरी से इस्तीफा देकर सिविल की कोचिंग ज्वाइन की। पूरी तरह से तैयारियों में जुट गईं। वर्ष 2020 में पहले ही प्रयास में इन्होंने सिविल सर्विसेज में दूसरी रैंक लाकर मुकाम हासिल कर लिया। जागृति अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के साथ भाई सुयश और पूर्व सैनिक मामा जितेंद्र नाथ को देती हैं।

साल 2019 में जागृति ने अफसर बनने के सपने को पूरा करने की ठान ली और दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में एडमिशन ले लिया। हालाँकि कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान उन्हें भोपाल लौटना पड़ा। लेकिन उनकी पढ़ाई नहीं रुकी। जागृति ने ऑनलाइन क्लासेज की। आईएएस बनने के लिए जागृति ने इंजीनियरिंग छोड़ी तो उनके माता पिता ने भी बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया। माँ ने बेटी की मदद के लिए टीचर की नौकरी छोड़ी तो घर पर चार सालों से टीवी को ऑन भी नहीं किया गया। ये सारे बलिदान जागृति को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे। पहले प्रयास में जागृति प्रीलिम्स भी पास नहीं हो सकी थीं लेकिन उन्होंने दृढ़ निश्चय किया और दूसरे प्रयास में टॉपर बन गयीं। 

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