आफबीट रोल से मुझे टाइप्ड होने का खतरा नहीं : भूमि पेडनेकर
फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार की ताजतरीन फिल्म 'टायलेट एक प्रेमकथा' में उनकी हिरोइन नवोदित अभिनेत्री भूमि पेडनेकर हैं। वह कहती हैं कि आफबीट फिल्में करने से उन्हें खुद के 'टाइप्ड' होने का...
फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार की ताजतरीन फिल्म 'टायलेट एक प्रेमकथा' में उनकी हिरोइन नवोदित अभिनेत्री भूमि पेडनेकर हैं। वह कहती हैं कि आफबीट फिल्में करने से उन्हें खुद के 'टाइप्ड' होने का कोई खतरा नहीं लगता बल्कि उन्होंने कुबूल किया वह समाज में बिखरे अलग-अलग किरदारों को अपनी अदाकारी से जीने की ख्वाहिशमंद हैं।
बतौर अभिनेत्री 'टायलेट एक प्रेमकथा' भूमि की दूसरी फिल्म है। इससे पहले वह आयुष्मान खुराना के साथ 'दम लगाके हइशा' में अदाकारी के हुनर दिखा चुकी हैं। भूमि ने यह बात शुक्रवार को लखनऊ के साउथ सिटी स्थित मिलेनियम स्कूल में 'हिन्दुस्तान' के स्वच्छता के शंखनाद अभियान कार्यक्रम में प्रधान संपादक शशि शेखर के एक सवाल के जवाब में कही।
सवाल था कि आपकी पिछली फिल्म दम लगाके हइशा आफबीट टाइप की थी। दूसरी यह फिल्म टायलेट एक प्रेमकथा भी आफबीट है। आपको लगता नहीं कि आप टाइप्ड हो जाएंगी।
भूमि का जवाब था- 'नहीं जी, मुझे बिल्कुल नहीं लगता। मुझे लगता है कि आज के जमाने में एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सबको देखना होगा कि हमारे आसपास क्या हो रहा है। मैं यह नहीं सोचती कि ऐसी फिल्म करने से मैं टाइप्डकास्ट (एक ही तरह के किरदार करने वाली अदाकारा) हो जाऊंगी। मैं यह भी नहीं सोचती कि ऐसी फिल्म न करूं, जिससे समाज का हित होगा। मैं यह सोचती हूं कि हमारे आसपास जो अलग-अलग किरदार हैं उन सारे किरदारों को मैं कुछ अलग बनाऊं और मैं अपने हर किरदार में पूरी तरह डूब कर काम करती हूं।'
दो साल पहले वर्ष 2015 में जब शरत कटारिया निर्देशित कामेडी फिल्म 'दम लगाके हइशा' रिलीज हुई तो उसमें फिल्म अभिनेता आयुष्मान खुराना के साथ डीलडौल से काफी मोटी एक नई हिरोइन संध्या वर्मा के किरदार में रुपहले पर्दे पर नजर आई। फिल्म चली और दर्शकों व फिल्म समीक्षकों दोनों को ही इस मोटी नई हिरोइन का काम काफी पसंद आया। नतीजा-फिल्म की हिरोइन को उस साल का नवोदित फिल्म अभिनेत्री का फिल्म फेयर अवार्ड मिला। इस प्रतिभाशाली युवा अभिनेत्री का नाम है भूमि पेडनेकर। अब भूमि की अक्षय कुमार के साथ दूसरी फिल्म 'टायलेट-एक प्रेम कथा आई है-कद काया बिल्कुल बदली हुई। जिन लोगों ने भी 'दम लगा के हइशा' देखी है वह टायलेट एक प्रेम कथा में भूमि को शायद आसानी से न पहचान पाएं। फिल्म के दौरान उनका वजन करीब 89 किलो हो गया था। उस फिल्म के बाद उन्होंने अपना वजन करीब 27 किलो से भी ज्यादा कम किया। मराठी पिता और हरियाणवी मां की संतान, मुंबई के जुहू स्थित आर्य विद्या मंदिर में शुरुआती पढ़ाई के बाद भूमि ने करीब छह साल यशराज फिल्म्स में बतौर असिस्टेंट कास्टिंग डायरेक्टर काम किया और फिल्म निर्माण की तकनीकी बारीकियां भी सीखीं।