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घटना के समय विधानसभा में मौजूद विधायक पर रेप का आरोप कैसे? एटा केस पर हाई कोर्ट का सवाल

पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव के खिलाफ एटा कोतवाली में दर्ज मुकदमे को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने विवेचक को यह बताने के लिए कहा है कि उन्होंने यह कैसे तय किया कि अभियुक्त घटना के समय....

घटना के समय विधानसभा में मौजूद विधायक पर रेप का आरोप कैसे? एटा केस पर हाई कोर्ट का सवाल
Dinesh Rathourविधि संवाददाता,प्रयागराजFri, 02 Aug 2024 10:15 PM
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घटना के दिन और समय पर विधानसभा की कार्यवाही में भाग ले रहे पूर्व विधायक पर दुष्कर्म का केस दर्ज किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है। पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव के खिलाफ एटा कोतवाली में दर्ज मुकदमे को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने विवेचक को यह बताने के लिए कहा है कि उन्होंने यह कैसे तय किया कि अभियुक्त घटना के समय एटा में मौजूद था। प्रमोद यादव व दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने दिया है।

याचीगण प्रमोद यादव व अन्य इस मामले में सह अभियुक्त है जबकि रामेश्वर यादव और उनके भाई जुगेन्द्र यादव को मुख्य आरोपी बनाया गया है। याचियों के अधिवक्ता का कहना था कि इस मामले में पीड़िता सुनियोजित तरीके से प्लांट की गई है। कुछ लोग जिनकी रामेश्वर सिंह यादव और उनके भाई से रंजिश है, उन्होंने झूठे साक्ष्य एकत्रित करके दुष्कर्म और पॉस्को एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। अभियुक्तों पर 29 जनवरी 2016 को हुई घटना की प्राथमिक 7 नवंबर 2023 को 7 वर्ष 10 माह की देरी से दर्ज कराई गई। पीड़िता के मूल आधार कार्ड में उसकी जन्मतिथि एक जनवरी 1997 है तथा पति का नाम है। जबकि बाद में संशोधित आधार कार्ड में जन्मतिथि एक जनवरी 2000 दिखाई गई है और पति का नाम गायब है।

कहा गया कि जिस दिन की घटना बताई जा रही है मुख्य अभियुक्त रामेश्वर सिंह यादव उस समय समाजवादी पार्टी के विधायक थे और विधानसभा की कार्यवाही में 29 जनवरी 2016 को उपस्थित थे। जबकि दर्ज प्राथमिकी में घटना 29 जनवरी 2016 अर्थात उसी दिन सुबह 9:30 बजे की एटा की बताई गई है। रामेश्वर सिंह यादव के लिए यह संभव नहीं है कि घटना को अंजाम देने के बाद उसी दिन एटा से 370 किलोमीटर दूर लखनऊ में विधानसभा की कार्यवाही में भी उपस्थित हों।

साक्ष्य के तौर पर कोर्ट के समक्ष घटना वाले दिन का विधानसभा का अटेंडेंस रजिस्टर प्रस्तुत किया गया। जिसे देखने के बाद कोर्ट ने कहा किया स्पष्ट है कि घटना वाले दिन विधानसभा सुबह 9:30 बजे शुरू हुई और घटना उसी दिन सुबह 9:30 बजे की एटा की बताई जा रही है।  इन हालात में अदालत जानना चाहती है कि जांच अधिकारी ने किस आधार पर अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। कोर्ट ने विवेचक को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि उन्होंने कैसे तय किया कि रामेश्वर सिंह यादव उस दिन एटा में ही थे। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।