ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेशहिन्दुस्तान मिशन शक्तिः उन्नाव की सुमन संघर्ष कर लिखती गईं सफलता की कहानी

हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः उन्नाव की सुमन संघर्ष कर लिखती गईं सफलता की कहानी

जिंदगी के  हर कदम पर संघर्ष को ही  मंजिल का रास्ता बनाकर सुमन ने हस्तशिल्प से सफलता की कहानी लिख दी। सुमन ने खुद की जिदंगी तो संवारी ही दो हजार से अधिक महिलाओं को भी रास्ता दिखा रही...

हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः उन्नाव की सुमन संघर्ष कर लिखती गईं सफलता की कहानी
कार्यालय संवाददाता,उन्नावFri, 20 Nov 2020 02:55 AM
ऐप पर पढ़ें

जिंदगी के  हर कदम पर संघर्ष को ही  मंजिल का रास्ता बनाकर सुमन ने हस्तशिल्प से सफलता की कहानी लिख दी। सुमन ने खुद की जिदंगी तो संवारी ही दो हजार से अधिक महिलाओं को भी रास्ता दिखा रही हैं।
तीन बहनों और तीन भाइयों में सबसे बड़ी सुमन प्रजापित का बचपन अभावों में बीता। उनके पिता रामस्वरूप जुराखन खेड़ा में कुम्हारी का काम करते हैं। बचपन में सुमन इस काम में पिता का हाथ बंटाती थीं। 13 वर्ष की आयु में ही पिता ने उनकी शादी कर दी मगर कुछ समय बाद ही पति की मृत्यु हो गई। सुमन पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। जैसे तैसे संभली सुमन की गरीब पिता ने दूसरी शादी कर दी मगर जीवन साथी ने उनका साथ छोड़ दिया। 22 साल की उम्र में सुमन पर तीन पुत्रियों का भार था। रोजी-रेाटी को मोहताज सुमन अशिक्षित हैं। ऐसी विकट परिस्थितियों में सुमन ने जरी जरदोजी से कढ़ाई का काम शुरू किया। एक साड़ी की कढ़ाई से सुमन को 200 रुपये मिलते थे। इसके बाद उन्हों ने कढ़ाई का काम सीखने के लिए प्राइवेट ट्रेनिंग ली। काम सीखने बाद सुमन  थोक में कढ़ाई का काम लेने लगीं। शहर में ही 50 अड्डों पर कढ़ाई का काम शुरू कराया। इस काम में उन्होंने 250 लोगों को रोजगार से जोड़ा। इसके बाद सुमन एनजीओ से जुड़ी और एनजीओ व नगरीय विकास प्राधिकरण डूडा के माध्यम से 200 स्वयं सहायता समूह खुलवाए।
ढाई हजार महिलाओ को रोजगार से जोड़ा
सुमन धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थीं। डूडा व एनजीओ के जरिए खुलवाए गए दो सौ स्वयं सहायता समहू में प्रत्येक में 12 से 15 महिलाएं जोड़ी गई। इस तरह लगभग ढाई हजार लोगों को सुमन ने रोजगार से जोड़ दिया। इसके बाद सुमन को एक जिला एक उत्पाद योजना की जानकारी हुई। योजना के तहत सुमन को 3 लाख रुपये का लोन मिला। अब सुमन शहर के जुराखन खेड़ा में जरीजरदोजी का एक सेंटर स्थापित कराने में जुटी हैंं। उनके साथ समूह और जरीजरदोजी के काम से जुड़ी महिलाएं अब उन्हें सुमन दीदी कहती हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें