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हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः चित्रकूट में अपहृत की जान बचाने ददुआ से भिड़ गई थीं रामलली

विध्य पर्वत श्रंखलाओं से घिरे बीहड़ में तीन दशक तक दहशत कायम करने वाले डकैत ददुआ से मुकाबला करने वाली अशिक्षित आदिवासी महिला रामलली के साहस को पूरा चित्रकूट आज भी सलाम करता है। अनजान युवक की जान...

हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः चित्रकूट में अपहृत की जान बचाने ददुआ से भिड़ गई थीं रामलली
हिन्दुस्तान संवाद,चित्रकूट Sun, 29 Nov 2020 02:17 AM
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विध्य पर्वत श्रंखलाओं से घिरे बीहड़ में तीन दशक तक दहशत कायम करने वाले डकैत ददुआ से मुकाबला करने वाली अशिक्षित आदिवासी महिला रामलली के साहस को पूरा चित्रकूट आज भी सलाम करता है। अनजान युवक की जान बचाने को पति की जिंदगी दांव पर लगाने वाली रामलली के किस्से हर जुबान पर रहता है। यूपी-एपी की सीमा के चित्रकूट स्थित पाठा क्षेत्र के बीहड़ में खूंखार डकैत ददुआ के खिलाफ कुछ बोलने की हिम्मत किसी में नहीं थी, पर रामलली ने उसके खिलाफ आवाज उठाई।
चित्रकूट जिला मुख्यालय से 45 किमी. दूर मानिकपुर के हरिजनपुर गांव जाने के लिए सड़क नहीं थी। डकैत ददुआ सड़क नहीं बनने दे रहा था, जो रामलली को सही नहीं लग रहा था। इसी बीच 2001 में ददुआ सतना निवासी बैंक मैनेजर जगन्नाथ तिवारी के लड़के मनीष को अगवा कर लाया था। युवक किसी तरह डकैतों को चकमा देकर भागा और रामलली के घर पहुंच गया। यह जानते हुए कि ददुआ के लोगों ने लड़के उठाया है, रामलली ने साहस दिखाते हुए उसे अपने घर पर रखा। ददुआ गिरोह को यह पता चला तो रामलली के घर पहुंच गए पर महिला ने लड़के को देने से साफ इनकार कर दिया। डकैतों के जाने के बाद रामलली ने पति को मानिकपुर थाने भेजा मगर रास्ते में डकैतों ने रामलली के पति को तीन किमी दौड़ाकर पकड़ लिया।
ददुआ ने रामलली को चिट्ठी भेजी दी कि लड़के को वापस नहीं किया तो उसके पति को मार डालेंगे। फिर भी रामलली ने साहस नहीं छोड़ा और हार नहीं मानी। उन्होंने गांव की महिलाओं में हिम्मत बढ़ाई और सभी  को साथ लेकर खुद मानिकपुर थाने पहुंच गई। दबाव पड़ने पर पुलिस हरकत में आई और किसी तरह डकैतों के चंगुल से रामलली के पति को मुक्त कराया। बैंक मैनेजर के बेटे की जान बचाने वाली रामलली पाठा की शेरनी के नाम से मशहूर हो गई।
इनाम में डीएम ने दी थी बंदूक
रामलली की हिम्मत को देखते हुए जिला प्रशासन ने उनक मजरे में रहने वाले आठ लोगों को असलहों के लाइसेंस दिए। तत्कालीन डीएम जगन्नाथ सिंह ने इनाम में रामलली को दोनाली बंदूक दी। इससे रामलली का हौसला और बढ़ा और पाठा में दहशत कायम करने वाले डकैत गिरोहों के सामने कभी झुकी नहीं। डकैत ददुआ ने उसे कई बार धमकी भरे संदेश भेजे पर साहस नहीं टूटा। प्रदेश सरकार ने भी रामलली को लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया। राज्यपाल ने शील्ड व गोल्ड मेडेल दिया था।
अन्ना गायों की करती हैं सेवा
गरीबी, तंगहाली और विकास में पीछे पाठा की धरती में रामलली महिलाओं के लिए मिसाल हैं। उम्रदराज हो चुकी रामलली महिलाओं में साहस भरती रहती हैं। मौजूदा समय पर वह घर पर गौशाला बनाकर अन्ना गायों की सेवा कर रही है। सुबह से ही गायों का गोबर उठाकर बाहर फेंकना उसकी दिनचर्या बन गया है।

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