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हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः बच्चियों को अफसर बना सपना पूरा करने में जुटीं इटावा की ममता

अफसर बनकर देश सेवा का जज्बा मन में लिए ममता वर्मा की 12वीं कक्षा में पहुंचते ही शादी कर दी गई। हालांकि शादी के बाद पढ़ाई की और शिक्षिका बन गईं मगर अफसर न बन पाने की टीस कचोटती रही। इस पर उन्होंने समाज...

हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः बच्चियों को अफसर बना सपना पूरा करने में जुटीं इटावा की ममता
कार्यालय संवाददाता,इटावाSat, 28 Nov 2020 04:40 PM
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अफसर बनकर देश सेवा का जज्बा मन में लिए ममता वर्मा की 12वीं कक्षा में पहुंचते ही शादी कर दी गई। हालांकि शादी के बाद पढ़ाई की और शिक्षिका बन गईं मगर अफसर न बन पाने की टीस कचोटती रही। इस पर उन्होंने समाज की गरीब कन्याओं को पढ़ा लिखाकर अफसर बनाने की ठानी। बालिका शिक्षा को आगे बढ़ाने का सिलसिला जारी है। हर साल दो सौ से तीन सौ बच्चियों के लिए कपड़े, कॉपी किताबों की व्यवस्था करने के अलावा उन्हें ट्यूशन भी देतीं हैं। शहर के प्रोफेसर कॉलोनी की रहने वाली 48 वर्षीय ममता वर्मा ने बालिकाओं की क्रिकेट, खोखो, बालीबाल टीम बनाई और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया गया।
अफसर बनने में रोड़ा बनी आर्थिक स्थिति और कम उम्र में शादी से टूट चुकी ममता ने प्रण किया कि अब उनके संपर्क में आने वाली कोई लड़की पैसों के लिए पढ़ाई नहीं छोड़ेगी और किसी की कम उम्र में शादी नहीं होने देंगीं। वह ऐसी ही दर्जनों बच्चियों की पढ़ाई का खर्च उठाने लगीं। शुरुआत में अव्वल बच्चियों की कॉपी-किताब और फीस का इंतजाम करने लगीं। बच्चियां बड़ी हुईं और ऊंची कक्षा की फीस व कापी किताबों का संकट खड़ा हुआ तो ममता ने खर्च पूरा करने का बीड़ा उठाया। पूरा खर्च वह अपने वेतन से करतीं हैं। उनकी देखरेख में एक दर्जन से अधिक बच्चियां इंटरमीडिएट और स्नातक में पढ रही है। कहतीं हैं कि भरसक प्रयास करेंगीं कि ये लड़कियां कुछ बन सकें, उनका अफसर बनने का जो सपना था वह अब इन लड़कियों में देख रहीं हैं।
रैली निकाली, शिविर का आयोजन
एआरपी के पद पर कार्यरत ममता बीआरसी सभागार में महिलाओं को जागरूक कराने के लिए विशेष शिविरों का आयोजन आए दिन कराती हैं। कन्या सुमंगला योजना एवं महिलाओं एवं बालिकाओं को सशक्त बनाने और उन्हें अधिकारों के प्रति जागरूक करने को ब्लॉक स्तर पर बाइक रैली भी निकाली। खाली समय में गांवों का भ्रमण कर महिलाओं को उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने पहुंच जाती हैं। उन्होंने इसे अपनी जिम्मेदारी मान ली है।

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