Hindustan Special: यूपी के इस तालाब में कभी नहाने आती थी रजिया सुल्तान, हिंदू धर्म के लिए भी है खास
उत्तर प्रदेश में एक तालाब ऐसा है जिसे कभी दिल्ली की पहली मुस्लिम महिला शासक रजिया सुल्तान ने बनवाया था। सर्दियों में वह यहां स्नान करने आया करती थीं।

पांडव कालीन शिव मंदिर विभूतिनाथ से महज छह किलोमीटर दूर सोहेलवा जंगल के मध्य स्थित रजिया तालाब से इतिहास के गहरे रिश्ते हैं। कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी में दिल्ली की प्रथम महिला शासक रजिया सुल्तान ने इस तालाब का निर्माण कराया था। सर्दियों में तीन महीने रजिया सुल्तान तालाब के पास स्थित महल में रुका करती थीं।
दिल्ली के तख्त पर बमुश्किल तीन साल बैठने वाली जलालातउद्दीन यानी रजिया सुलतान कभी बलरामपुर आया करती थीं। उन्होंने 1236 से 1240 के बीच दिल्ली से शासन चलाया। इस दौरान उनको एक कुशल शासक के तौर पर जाना गया। बलरामपुर के सोहेलवा जंगल के बीच में एक तालाब है। इसके रजिया तालाब के नाम से जाना जाता है। लोगों का कहना है कि इस तालाब का निर्माण खुद रजिया सुल्तान ने करवाया था। सर्दियों में वह यहां आया करती थीं। इसी कारण इस तालाब को रजिया ताल या रजिया तालाब कहा जाता है। कहते हैं कि कभी तालाब के किनारे छोटा महल हुआ करता था जहां रजिया सुल्तान ठहरा करती थीं। मौजूदा समय उस महल का कोई अस्तित्व नहीं बचा है। तालाब की खास बात यह है कि यहां पानी का स्तर पूरे साल लगभग एक समान रहता है।
तालाब से जुड़ी है धार्मिक आस्था
इस तालाब से धार्मिक आस्थाएं भी जुड़ी हुई हैं। आस्था है कि यहां स्नान करने के बाद नंगे पांव विभूतिनाथ आकर जल चढ़ाने से मन की मुरादें पूरी होती हैं। सावन माह में इस आस्था को शिवभक्ति के साथ पंख लग जाते हैं।
पांडवों ने बिताया था यहां लंबा समय
एक पौराणिक मान्यता यह है कि तालाब काफी पहले का है। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने हिमालय की तलहटी में आबाद सोहेलवा के जंगल में समय बिताया था। यहां पांडवों ने काठ के शिवलिंग की स्थापना की थी। इसीलिए इस तालाब से जल लेकर शिव को अर्पित करने की परम्परा रही है जो 12वीं सदी से भी पहले की है। मंदिर के पुजारी नंदराम गिरी के मुताबिक इस तालाब से जुड़ी मान्यता सदियों पुरानी है। हाल ही में इस तरफ काफी विकास हुआ है। तालाब के बगल में स्थित सूर्यकुंड आने जाने वाले रास्ते को दुरुस्त कराया गया है।
