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हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः संघर्ष से राह मिली तो हरदोई की वंदना दूसरों को दिखाने लगीं राह

बचपने से ही कुछ बड़ा करने की सोच ने वंदना को आत्मनिर्भर बना दिया। हालांकि शादी के बाद घर की अन्य जिम्मेदारियां उन्हें दूसरी राह पर ले गईं पर संघर्ष करने हिम्मत से वह उस राह पर सफल रहीं। हरदोई के...

हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः संघर्ष से राह मिली तो हरदोई की वंदना दूसरों को दिखाने लगीं राह
कार्यालय संवाददाता,हरदोईSat, 28 Nov 2020 02:19 PM
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बचपने से ही कुछ बड़ा करने की सोच ने वंदना को आत्मनिर्भर बना दिया। हालांकि शादी के बाद घर की अन्य जिम्मेदारियां उन्हें दूसरी राह पर ले गईं पर संघर्ष करने हिम्मत से वह उस राह पर सफल रहीं। हरदोई के नवीपुरवा धर्मशाला रोड की रहने वाली वंदना अब महिलाओं को सबला बना रही हैं। मूल मंत्र कि महिलाएं शुरुआत तो करें, सफलता कदम चूमेगी। परिश्रम से चार पैसे कमाकर आत्मनिर्भर बनेंगी तो समस्याएं खुद ब खुद दूर चली जाएंगी।
सरकार की कौशल विकास योजना के बार में वंदना को जानकारी मिली तो हुनर और कुछ करने का जज्बा फिर हिलोरें मारने लगा। सिलाई में निपुण वंदना इसे और निखारने के लिए आवेदन कर दिया। 2018-19 में प्रशिक्षण पूरा कर बुटीक खोल लिया। मेहनत रंग लाई और देखते ही देखते काम बढ़ चला। खुद को पैरों पर खड़ी हुईं, वह गरीब परिवारों की बेटियों को मुफ्त में सिलाई कढ़ाई सिखाती हैं। चार जरूरतमंद महिलाएं बुटीक में नियमित काम करती हैं। सहालग व अन्य सीजन में काम बढ़ने पर दूसरी अन्य महिलाओं को भी काम दे देती हैं। 100 से ज्यादा महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई समेत अन्य छोटे-छोटे काम  का रोजगार शुरू करा चुकी हैं। प्राकृतिक आपदाओं व अन्य सामाजिक कुरीतियों की वजह से संकटग्रस्त महिलाओं को बुटीक के साथ ही अन्य सरकारी योजनाओं से जुड़ने की प्रेरणा ही नहीं देतीं पर उन्हें  प्रशिक्षण भी दिलवाती हैं। नेकदिल वंदना की उनके सामाजिक कार्यो से चर्चा हर जगह होती है। अब वह मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी खोलने की दिशा में जुटी हैं, जिससे अधिक से अधिक महिलाएं उनके साथ जुड़ कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।
झिझक दूर करना सबसे जरूरी
वंदना कहती हैं कि समाज क्या सोचेगा, रिश्तेदार व परिवार वाले क्या कहेंगे, इस चिंता में महिलाएं घर से बाहर निकलकर काम करने से झिझकती हैं। यही झिझक दूर करना सबसे जरूरी है। समझाती हैं कि गरीबी शोषण का सबसे बड़ा कारण है। सबको नौकरी नहीं मिल सकती। इसलिए हर मुश्किल से लड़ने के लिए स्वरोजगार के तहत छोटे-छोटे काम छोटी पूंजी से शुरू कराती हैं।

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