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जानें, कोरोना से यूपी में बेकाबू होते हालात पर हाईकोर्ट ने योगी सरकार से क्या कहा ?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में कोरोना के विस्फोटक संक्रमण और विफल चिकित्सा तंत्र को देखते हुए प्रदेश के पांच अधिक प्रभावित शहरों में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू कर दिया है। केवल जरूरी सेवाओं की ही...

जानें, कोरोना से यूपी में बेकाबू होते हालात पर हाईकोर्ट ने योगी सरकार से क्या कहा ?
विधि संवाददाता ,प्रयागराज Mon, 19 Apr 2021 07:52 PM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में कोरोना के विस्फोटक संक्रमण और विफल चिकित्सा तंत्र को देखते हुए प्रदेश के पांच अधिक प्रभावित शहरों में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू कर दिया है। केवल जरूरी सेवाओं की ही अनुमति दी गई है। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आज रात से ही प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर नगर, वाराणसी  व गोरखपुर मे लॉकडाउन लागू करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार को कोरोना संक्रमण पर लगाम के लिए प्रदेश मे दो सप्ताह तक पूर्ण लॉकडाउन लागू करने पर विचार करने का भी निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण मामले की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने न्यायपालिका में लॉकडाउन का जिम्मेदारी उन्हीं पर छोड़ी है। कोर्ट ने पिछले निर्देशों पर शासन की कार्रवाई को संतोषजनक नहीं माना और कहा कि लोग सड़कों पर बिना मास्क के चल रहे हैं। सौ फीसदी मास्क लागू करने में पुलिस विफल रही है। संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों में दवाओं व आक्सीजन की काफी कमी है। लोग दवा के अभाव में इलाज बगैर मर रहे हैं और सरकार ने कोई फौरी योजना नहीं बनाई। न ही पूर्व तैयारी की। डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ सहित मुख्यमंत्री तक संक्रमित हैं। मरीज इलाज के लिए अस्पतालों के लिए दौड़ लगा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस आपदा से निपटने के लिए सरकार के लिए तुरंत इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना कठिन है लेकिन युद्ध स्तर पर प्रयास की जरूरत है।

कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज शहर की आबादी 30 लाख है। यहां 12 अस्पतालों में 1977 बेड और 514 आईसीयू बेड ही हैं। यह केवल 0.5 फीसदी लोगों के इलाज की व्यवस्था है । 20 बेड प्रतिदिन बढ़ाए जा रहे हैं। लखनऊ में 1000 बेड हैं फिर भी ये नाकाफी हैं। जरूरत इससे कहीं अधिक की है। हर पांचवां घर सर्दी जुकाम से पीड़ित है। जांच नहीं हो पा रही है। वीआईपी को 12 घंटे में जांच रिपोर्ट तो आम आदमी को तीन दिन बाद जांच रिपोर्ट मिल रही है। ऐसे में इन तीन दिन तक वह कहां जाए। कोई व्यवस्था नहीं है। 1/3 हेल्थ वर्कर से काम लिया जा रहा है। बड़ी संख्या में वे भी संक्रमित हैं। जीवन रक्षक दवाओं की कमी है। कोर्ट ने कहा कि नाइट कर्फ्यू आई वाश के सिवाय कुछ नहीं है। कोरोना पर लगाम के लिए कम से कम एक सप्ताह लॉकडाउन लगाया जाना जरूरी है। संवैधानिक न्यायालय कुछ लोगों की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतने के लिए  नहीं छोड़ सकती।

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