हाथरस कांड के बाद प्रदेश में जातीय दंगे कराने की साजिशें रचे जाने के मामले की जांच के लिए एसटीएफ की टीमें हाथरस, मथुरा व अलीगढ़ पहुंच गई हैं। साजिश में पीएफआई के अलावा भीम आर्मी की गतिविधियां भी एसटीएफ की जांच के दायरे में हैं।
शासन के गृह विभाग ने हाथरस एवं आसपास के जिलों से मिली स्थानीय अभिसूचना इकाइयों (एलआईयू) की रिपोर्ट्स और तीन आईपीएस अफसरों की एसआईटी की तरफ से दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर दंगों की साजिशों का पता चला था। इन सूचनाओं के आधार पर अलग-अलग मामलों में हाथरस, मथुरा व अलीगढ़ में मुकदमे भी दर्ज किए गए थे।
इसके अलावा सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ लखनऊ, बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, प्रयागराज व अयोध्या में भी मुकदमे दर्ज किए गए थे। पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने स्वीकार भी किया था कि पूरे प्रदेश में अमन-चैन बिगाड़ने और जातीय विद्वेष फैलाकर दंगे कराने की साजिश रची गई थी। अब एसटीएफ को इन साजिशों का पर्दाफाश करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सूत्रों के अनुसार हाथरस प्रकरण में झूठे तथ्य प्रचारित कर जातीय उन्माद पैदा करने और इसे बड़ा मुद्दा बनाकर प्रचारित करने में पीएफआई और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं की भूमिका एसटीएफ की जांच के केंद्र में है। घटना के बाद पीड़ित परिवार के संपर्क में रहे लोगों के बारे में भी छानबीन चल रही है। एसटीएफ की टीमें उन आर्थिक स्रोतों का भी पता लगाएंगी, जिसके जरिए इस अभियान के लिए फंडिंग की गई। एसटीएफ गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमों में गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों से भी पूछताछ कर सकती है।