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हाथरस केस : पीड़िता के घर के आने वालों की बनी सूची, प्रशासन ने मंगवाए सीसीटीवी कैमरे का फुटेज

हाथरस मे कथित गैंगरेप की सीबीआई जांच के बीच प्रशासन ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है। गांव में पीड़िता के घर पर लगे कैमरों की रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखवाया जा...

Amit Gupta हिन्दुस्तान ब्यूरो , हाथरस Tue, 27 Oct 2020 07:54 AM
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हाथरस केस : पीड़िता के घर के आने वालों की बनी सूची, प्रशासन ने मंगवाए सीसीटीवी कैमरे का फुटेज

हाथरस मे कथित गैंगरेप की सीबीआई जांच के बीच प्रशासन ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है। गांव में पीड़िता के घर पर लगे कैमरों की रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखवाया जा रहा है। 

किसी भी घटना के राजफाश में सीसीटीवी कैमरे मददगार साबित हुए हैं। कभी-कभी जांच कई दिन बाद शुरू होने के कारण सीसी कैमरे की रिकॉर्डिंग नहीं मिलती है। अमूमन सीसी कैमरों के साथ लगने वाली हार्ड डिस्क में 15 दिन का डाटा सुरक्षित रहता है। पिछले दिनों जिला अस्पताल में सीबीआई की टीम को 14 सितंबर को बेटी को इमरजेंसी में लाने की सीसी फुटेज हाथों हाथ नहीं मिल सकीं थीं। चूंकि बूलगढ़ी मामला बेहद संवेदनशील है। प्रशासन अब कोई चूक नहीं करना चाहता है। पता नहीं कौन सी रिकॉर्डिंग की जरूरत कब पड़ जाए ऐसे में प्रशासन एक-एक पल की सीसी कैमरे की रिकॉर्डिंग अपने पास सुरक्षित रखना चाहता है। पीड़िता की परिवारीजनों को सुरक्षा दी गई है। आने जाने वालों के नाम व अन्य जानकारियां प्रतिदिन एक रजिस्टर में दर्ज हो रही हैं। घर व बाहर आठ सीसी कैमरों से निगरानी की जा रही है।

कर्ज, रोजगार व पशुओं के चारे की चिंता में डूबा परिवार

चंदपा कोतवाली क्षेत्र के गांव बूलगढ़ी के पीड़ित परिवार के सामने कई समस्याएं खड़ी हैं। बेटी के जाने के बाद अब कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने को लेकर अक्सर ही परिवार में विचार विमर्श चलता रहता है। इसके साथ ही रोजगार, कर्ज व पशुओं के चारे की समस्या का भी यह परिवार सामना कर रहा है। पीड़िता के पिता गांव के पास ही एक निजी संस्थान में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का कार्य करते थे। पीड़िता के बड़े भाई की नौकरी लॉक डाउन के चलते चली गई। 14 सितंबर से पीड़िता का छोटा भाई गाजियाबाद से अपनी निजी फर्म में नौकरी को छोड़कर गांव में है। परिवार इस घटना से पहले अपनी भैंस के दूध को बेचकर गुजारा कर लेता था। कुछ बीघा खेत में पशुओं के लिए चारा भी पैदा कर लेते थे। इस बार बाजरा की फसल भी सूख गई। काम धंधा भी नहीं है। पिता ने बताया कि उन पर करीब 35 हजार रुपय का कर्ज भी है। वह कहते हैं कि वह कर्ज चुकता करेंगे। किसी का एक रुपया भी नहीं रखेंगे।

पशुओं को ले गए रिश्तेदार, गांव में उड़ी अफवाह
बूलगढ़ी के पीड़ित परिवार ने गुजारा न होने व परेशानियों के चलते रविवार को अपने दुधारू मवेशियों को रिश्तेदारों को दे दिया। पशुओं के जाते ही गांव में अफवाह उड़ी कि परिवार ने गांव को छोड़ना शुरू कर दिया है। सोमवार को कई जगह गांव में यह चर्चा सुनी गई। गलियों से लेकर खेत में लोग इस बात का जिक्र कर रहे थे। इस अफवाह के बारे में मृतका के पिता व छोटे भाई का कहना है कि यह सब गलत है। यह उनकी जन्मभूमि है। पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। खेत भी इस बार सूख गया। कोर्ट कचहरी के लिए आए दिन बाहर जाना होगा। ऐसे में पशुओं के दूध को आखिर डेयरी तक कैसे देने जाएंगे, इसलिए रिश्तेदारों को पशु दे दिए। हालांकि एक भैंस अभी भी उनके पास ही है। गांव छोड़ने की तैयारी की बात को पिता पुत्र ने सिरे से खाजिर किया।

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