क्या टूट गया इंडिया गठबंधन? सपा के नए ऐलान से उठ रहा सवाल, एमपी चुनाव के नतीजे क्यों बढ़ाएंगे और रार
सपा और कांग्रेस की तनातनी के कारण पूछा जा रहा है कि क्या इंडिया गठबंधन पूरी तरह बनने से पहले ही टूट गया है। सपा मध्यप्रदेश में छह सीटें मांगी रही थी अब 50 सीटों पर लड़ने जा रही है।

सपा और कांग्रेस के बीच रार बढ़ने से यह सवाल उठने लगा है कि क्या इंडिया गठबंधन पूरी तरह बनने से पहले ही टूट गया है। मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर सपा के नए ऐलान से तो यही लगता है। सपा अभी तक एमपी में कांग्रेस से केवल छह सीटें मांग रही थी। अब सपा ने 50 सीटों पर लड़ने का फैसला कर लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि एमपी चुनाव के नतीजों के बाद दोनों में रार औऱ बढ़ेगी। इससे इंडिया गठबंधन का भविष्य भी बिगड़ने की आशंका जताई जाने लगी है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस और सपा के रिश्तों की दिशा तय कर सकते हैं। लेकिन कांग्रेस की जीत और उसकी हार दोनों स्थिति में सपा से रार बढ़नी तय मानी जा रही है। अगर सपा के इतनी ज्यादा सीटों पर लड़ने और इस तरह से दबाव बनाने के बाद कांग्रेस हारती है तो पूरा ठीकरा समाजवादी पार्टी पर फूटेगा। ऐसे में इंडिया गठबंधन में रार और बढ़ जाएगी। दूसरी स्थिति यह हो सकती है कि सपा के इस दवाब और इतनी ज्यादा सीटों पर लड़ने के बाद भी कांग्रेस जीत जाए। ऐसे में वह सपा को कहीं भी क्यों भाव देगी।
दोनों ही स्थिति में इसका असर लोकसभा चुनाव के लिए बने ‘इंडिया’ गठबंधन की संभावनाओं पर भी पड़ सकता है। इससे दोनों दल के रिश्तों में बदलाव आ सकता है। यही नहीं अगर कांग्रेस मध्य प्रदेश में जीत हासिल करती है तो उसका पक्ष सही साबित होगा। पर इसके उलट भी संभावना बनती है। पिछली बार सपा एक सीट जीती थी अब यह संख्या बढ़ती है तो सपा भी आत्मविश्वास में दिखेगी। महज छह सीटों को लेकर शुरू हुआ विवाद किस मोड़ पर आगे पहुंचेगा इसका अंदाजा अगले महीने तक लग जाएगा।
इस तरह लोकसभा चुनाव गठबंधन से पहले मध्य प्रदेश के चुनावी नतीजों का सबको इंतजार रहेगा। कांग्रेस से अलग जाकर समाजवादी पार्टी ने अब तक वहां 41 प्रत्याशी उतार दिए हैं और यह संख्या 50 से ज्यादा जा सकती है यानी इन सीटों पर कांग्रेस को भाजपा के साथ-साथ सपा से भी जूझना पड़ेगा। हालांकि कांग्रेस यह भी कहती रही है कि मध्य प्रदेश में सपा का कोई बड़ा जनाधार नहीं है लेकिन इतनी सीटों पर प्रत्याशी उतारने से सपा कितना वोट काट सकती है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
वैसे सपा ने वहां अपने जनाधार वाली सीटों पर पुराने व अनुभवी लोगों को टिकट दिया है। सपा बेहतर प्रदर्शन करने की सूरत में आक्रामक तेवर दिखा सकती है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस व सपा के बीच हालिया विवाद से खासी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। वैसे दोनों दल फिलहाल शांत हो गए हैं लेकिन नतीजों के आने के बाद यह रिश्ते किस दिशा व दशा में पहुंचेंगे, इसका अंदाजा दोनों दलों के मौजूदा दिखाए गए तेवर से भी लग सकता है।
हालांकि मध्य प्रदेश में बात तो कांग्रेस सपा के बीच फ्रैंडली फाइट की हो रही है लेकिन जब त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला हुआ तो कई छोटे दल बड़े दलों को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में जरूर होंगे। इसमें सपा भी शामिल है।