ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की आपसी लड़ाई और गहराई, थाने में धोखाधड़ी समेत कई आरोपों में केस
ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस में वादी पांच महिलाओं की आपसी लड़ाई और गहरा गई है। एक वादी के पैरोकार की तरफ से दूसरी वादी के पैरोकार के खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई आरोपों में केस दर्ज कराया गया है।

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वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस में वादी पांच महिलाओं की आपसी लड़ाई और गहरा गई है। एक वादी के पति की तरफ से दूसरी वादी के पैरोकार के खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई आरोपों में केस दर्ज करा दिया गया है। मामले की वादी लक्ष्मी सिंह के पति एवं केस के पैरोकार सोहनलाल आर्य ने विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन पर फ्लैट के नाम पर धोखाधड़ी और धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया है। सूरजकुंड निवासी सोहनलाल आर्य की तहरीर पर केस दर्ज कर लक्सा पुलिस छानबीन में जुटी है। जितेंद्र सिंह बिसेन ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस की एक अन्य वादी राखी सिंह के चाचा और उनकी तरफ से पैरोकार हैं।
तहरीर में सोहनलाल आर्य ने बताया कि जितेंद्र सिंह बिसेन ने उन्हें नोएडा में एक परिचित की बहुमंजिली इमारत में फ्लैट बिकाऊ होने की बात बताई थी। कहा कि उन्हें सस्ता और किस्त पर फ्लैट दिला देंगे। फ्लैट की बुकिंग के लिए तीन लाख रुपये मांगे। 11 नवंबर 2021 को सोहनलाल आर्य एक लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से दिए।
नौ दिसंबर 2021 को शेष दो लाख रुपये उनके खाते में ट्रांसफर किए। एक साल के बाद भी फ्लैट की बुकिंग नहीं हुई। न ही बुकिंग के रुपये लौटाए। आरोप है कि जितेंद्र सिंह बिसेन रुपये वापस मांगने पर जान से मरवाने या मुकदमे में फंसाने की धमकी दे रहे हैं।
सोहन लाल आर्य और जितेंद्र सिंह विसेन साल भर पहले तक साथ-साथ हुआ करते थे। मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन के साथ ही ज्ञानवापी में मौजूद अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था की मांग से संबंधित मुकदमा वाराणसी की जिला अदालत में जितेंद्र सिंह विसेन की अगुवाई में राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी ने दाखिल किया था।
बीते साल ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर ने कमीशन की कार्रवाई शुरू की तो हिंदू पक्षकारों में आपस में ही मतभेद शुरू हो गया। अब हालत यह है कि राखी सिंह और उनके पैरोकार जितेंद्र सिंह विसेन का एक अलग गुट हैं। वहीं, सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी के साथ ही उनके पैरोकार सोहन लाल आर्य का अलग-अलग गुट है। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आए दिन आरोप लगाने के साथ ही कोर्ट में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आते हैं।