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जीपीएफ घोटाले के मुख्य आरोपी की संपत्ति जब्त होगी, फर्जी आईडी बनाकर करोड़ों हड़पने का है आरोप

फर्जी आइडी बनाकर जीपीएफ से करोड़ों रुपये हड़पने के केस में मुख्य आरोपित अरुण वर्मा की सम्पत्ति जब्त करने की तैयारी है। इसके लिए जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। जिला प्रशासन की ओर से उसकी...

जीपीएफ घोटाले के मुख्य आरोपी की संपत्ति जब्त होगी, फर्जी आईडी बनाकर करोड़ों हड़पने का है आरोप
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,गोरखपुर Fri, 26 Mar 2021 09:37 AM
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फर्जी आइडी बनाकर जीपीएफ से करोड़ों रुपये हड़पने के केस में मुख्य आरोपित अरुण वर्मा की सम्पत्ति जब्त करने की तैयारी है। इसके लिए जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। जिला प्रशासन की ओर से उसकी संपत्तियों का विवरण जुटाया जा रहा है। वहीं जिलाधिकारी द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। जिला प्रशासन की ओर से अरुण वर्मा के आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों का विवरण जुटाया जा रहा है। शहर क्षेत्र के साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी उसकी संपत्ति का पता चला है।

इस फर्जीवाड़े के चलते सरकारी खजाने को कितना नुकसान हुआ है, इसका पता लगाने के लिए जिलाधिकारी ने एडीएम एफआर राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में ट्रेजरी विभाग के अधिकारी व नगर निगम के एक अधिकारी शामिल हैं। टीम ने जांच के लिए बिन्दु निर्धारित कर लिए हैं और जांच शुरू भी हो चुकी है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार चकबंदी विभाग से ही फर्जी आइडी बनाकर पैसा निकालने की बात सामने आयी है। अन्य विभागों से भी मार्च 2020 से वर्तमान समय तक जीपीएफ से हुए भुगतान का विवरण मंगाया गया है। मुख्य आरोपित अपने विभाग में चुपचाप रहता था।

डीएम के. विजयेंद्र पाण्डियन ने बताया कि जीपीएफ घोटाले के मुख्य आरोपित द्वारा अर्जित संपत्ति का विवरण जुटाया जा रहा है। जल्द ही पूरी संपत्ति जब्त की जाएगी। गोरखपुर में जीपीएफ घोटाले का कितना प्रभाव पड़ा है, इसकी जांच के लिए कमेटी गठित की गई है।

 

आरोपित लेखपाल खुलवाता था फर्जी खाता

बस्ती में तैनात लेखपाल राजेश पाठक ही फर्जी खाता खुलवाता था। गोरखपुर में चकबंदी विभाग में तैनाती के दौरान वह अरुण वर्मा के साथ अधिक समय बिताता था। माना जा रहा है कि यहीं से फर्जीवाड़े की योजना बनी थी। राजेश पाठक को यहां गलत आचरण के कारण निलंबित भी किया गया था। गोंडा के नवाबगंज निवासी इस लेखपाल ने अपने क्षेत्र सहित अलग-अलग जगहों पर कई बैंक खाते खुलवाए थे। जीपीएफ से पैसा सीधे इन्हीं खातों में जाता था, उसके बाद जालसाज कुछ पैसा खाताधारक को देकर अधिकतर हिस्सा अपने पास रख लेते थे। शुरू में एक से डेढ़ लाख रुपये निकाले गए। हौसला बढ़ा तो बाद में पांच से आठ लाख रुपये तक की निकासी होने लगी।

 

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