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चित्रकूट : पैसों के खातिर इंजीनियरिंग के छात्र बने जुडवां भाइयों के कातिल

जानकीकुंड परिसर से दिनदहाड़े जुड़वा मासूमों को अगवा करने की साजिश इंजीनियरिंग के छात्रों ने पैसों के लिए रची थी। पुलिस की पूछताछ के दौरान शातिरों ने पूरे घटनाक्रम को कुबूल किया। स्वीकार कि पहचान के भय...

चित्रकूट : पैसों के खातिर इंजीनियरिंग के छात्र बने जुडवां भाइयों के कातिल
निज संवाददाता,चित्रकूटMon, 25 Feb 2019 02:00 AM
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जानकीकुंड परिसर से दिनदहाड़े जुड़वा मासूमों को अगवा करने की साजिश इंजीनियरिंग के छात्रों ने पैसों के लिए रची थी। पुलिस की पूछताछ के दौरान शातिरों ने पूरे घटनाक्रम को कुबूल किया। स्वीकार कि पहचान के भय से मासूमों को मौत के घाट उतार दिया। छात्र इतने शातिर थे कि परिजनों से फिरौती की रकम मांगने के लिए खुद के बजाए राह चलते लोगों से फोन लेकर इस्तेमाल किया। इस घटना के दोषी सभी छह आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है। 
रविवार को चित्रकूट में आईजी रींवा चंचल शेषर ने मीड़िया के सामने पूरे घटनाक्रम का खुलासा किया। कहा कि जुड़वा भाइयों को अगवा करने के बाद से डीआईजी रींवा की अगुवाई में एक एसआईटी गठित की गई थी। आईजी ने शातिरों से की गई पूछताछ के बाद घटनाक्रम का सिलसिलेवार खुलासा किया। बताया कि इस वारदात का मास्टर माइंड एक विश्वविद्यालय में बीआईटी कर रहा छात्र पद्म शुक्ला निवासी जानकीकुंड है। पद्म ने ही राजू द्विवेदी निवासी भभुवा थाना मर्का जनपद बांदा के साथ बाइक में आकर जुडवां मासूमों को अगवा किया था। इसके बाद लकी उर्फ आलोक सिंह तोमर निवासी तेंदुरा थाना बिसंडा जनपद बांदा ने इन बच्चों को चार पहिया वाहन से दूसरी जगह शिफ्ट करने में भूमिका निभाई। इनके अलावा ट्यूशन शिक्षक रामकेश यादव निवासी छेरा जिला बांदा व उसका मामा पिंटू उर्फ पिंटा निवासी गुरदहा जनपद हमीरपुर के अलावा विक्रमजीत सिंह निवासी पहलपुर जनपद जमुआ विहार भी वारदात में शामिल रहे। 
रामकेश व पिंटू को छोड़कर अन्य सभी चार लोग विश्वविद्यालय के छात्र हैं। आईजी ने बताया कि अपहरण के दो दिन बाद ही इन शातिरों ने परिजनों से एक करोड़ की फिरौती मांगी थी। शातिर जुड़वां मासूमों के ठिकाने लगातार बदलते रहे। अतर्रा में किराए का मकान लेकर बच्चों को रखा था। आईजी ने बताया कि फिरौती की रकम मिलने के बाद शातिरों ने पहचान के भय से बच्चों की हत्या कर दी। 

20 लाख की वसूली थी फिरौती
शातिरों ने फोन के जरिए परिजनों से फिरौती की मांग किया था। जिसकी जानकारी परिजनों ने एमपी पुलिस को नहीं दी। आईजी ने बताया कि 19 फरवरी की रात करीब दो बजे बांदा जिले के अतर्रा-ओरन मार्ग पर चौंसड गांव के पास शातिरों ने फिरौती की रकम 20 लाख रूपए मंगवाई थी। एक पुलिया में रकम रखवाने के बाद परिजनों को वापस कर दिया था। भरोसा दिया था कि दूसरे दिन बच्चे भरतकूप के पास मिल जाएंगे, लेकिन शातिरों ने बच्चों को नहीं छोड़ा। फिरौती के संबंध में यूपी पुलिस को जानकारी थी। शातिरों तक पहुंचने में यूपी पुलिस का सहयोग अच्छा रहा है। बताया कि शातिरों के कब्जे से फिरौती के 17.67 लाख रुपये के साथ ही प्रयुक्त चार पहिया वाहन व तीन बाइकें बरामद की गई है। 

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फास्टट्रैक कोर्ट में होगी सुनवाई
आईजी रींवा चंचल शेषर ने कहा कि मासूमों की निर्मम तरीके से हत्या करने वाले आरोपितों को कड़ी सजा दिलाई जाएगी। इस मामले में एमपी पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य है। इस मामले की सुनवाई मध्यप्रदेश की फास्टट्रैक कोर्ट में कराएंगे। एमपी पुलिस मजबूती के साथ अपना पक्ष भी रखेगी। बताया कि बच्चों को शिफ्ट करने में जिस चार पहिया वाहन का प्रयोग किया गया है, उसमें एक राजनैतिक दल का झंडा लगा हुआ है। मास्टर माइंड पद्म बजरंज दल के पूर्व क्षेत्रीय संयोजक विष्णुकांत का भाई है। 

पुलिस को गुमराह कर रहे थे शातिर
आईजी ने बताया कि पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद भी अपहरणकर्ता बच्चों को लेकर बराबर पुलिस को गुमराह कर रहे थे। पांच लोगों को पकड़ लिया गया था। लकी उर्फ आलोक सिंह हाथ नहीं लग पाया था। गिरफ्त में आने के बाद इन शातिरों ने जानकारी दी थी कि बच्चों को ट्रांसपोर्ट नगर इलाहाबाद में रखा गया है। वहां पर पुलिस टीम भेजी गई। काफी प्रयास के बाद छठवें शातिर को पकड़ा गया। बाद में शातिरों ने कुबूल किया कि बच्चों की हत्या कर दी गई है। 

एक दिन पहले अगवा करने आए थे शातिर
जानकीकुंड परिसर में संचालित सद्गुरू पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले जुडवां भाई प्रियांश व चित्रांश को अगवा करने के लिए शातिर 11 मई को भी आए थे। लेकिन उस दिन उनकी बस के आगे व पीछे दो अन्य बसें होने के कारण शातिर वारदात को अंजाम नहीं दे पाए। आईजी ने बताया कि इस बात को गिरफ्तार शातिरों ने स्वीकार की है। एक दिन पहले गच्चा खाने के बाद वह लोग वापस लौट गए थे। इसके दूसरे ही दिन 12 फरवरी को शातिरों ने वारदात को अंजाम  दे डाला। 
 

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