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वाराणसी में बाढ़: रुद्र नगरी में गंगा का दिख रहा रौद्र रूप, 29 कॉलोनियों की निगरानी करेगी पुलिस

उफनती गंगा और वरुणा के तटवर्ती इलाके से लोगों का पलायन जारी है। उनकी मदद को प्रशासन के साथ ही पुलिस की तैनाती भी कर दी गई है। पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश के निर्देश पर कमिश्नरेट क्षेत्र के छह थाना...

वाराणसी में बाढ़: रुद्र नगरी में गंगा का दिख रहा रौद्र रूप, 29 कॉलोनियों की निगरानी करेगी पुलिस
वरिष्ठ संवाददाता,वाराणसी Wed, 11 Aug 2021 03:42 PM

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उफनती गंगा और वरुणा के तटवर्ती इलाके से लोगों का पलायन जारी है। उनकी मदद को प्रशासन के साथ ही पुलिस की तैनाती भी कर दी गई है। पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश के निर्देश पर कमिश्नरेट क्षेत्र के छह थाना क्षेत्र में बाढ़ प्रभावित 29 कॉलोनियों को चिह्नित किया गया है। इन कॉलोनियों के मकान डूब चुके हैं, लोग बाहर रह रहे हैं। इन मकानों की सुरक्षा के साथ ही बाढ़ में फंसे लोगों की मदद के लिए पुलिस की तैनाती की गई है।

वरुणा की बाढ़ में जैतपुरा, सारनाथ और लालपुर-पांडेयपुर के तटवर्ती इलाके डूबे हैं। इसी तरह गंगा की बाढ़ में भेलूपुर, लंका और रामनगर क्षेत्र के तटवर्ती इलाके प्रभावित हैं। अमूमन बाढ़ के समय खाली घर चोरों के निशाने पर होते हैं। बंद मकानों से चोर लाखों का माल पार देते हैं। भवनस्वामी को जानकारी तब होती है, जब पानी उतरता है और वह अपने मकान में पहुंचता है। लोगों की इस चिंता के मद्देनजर इस बार ऐसे मकानों की निगरानी के लिए रात में भी पुलिस की सक्रियता बढ़ाने का आदेश पुलिस आयुक्त ने दिया है। 

तटवर्ती दर्जनों मोहल्लों और गांवों में हाहाकारी माहौल

काशी में गंगा धीरे-धीरे रौद्र रूप धारण करती जा रही हैं। धीमी गति से मानव बस्तियों की ओर बाढ़ के फैलाव का क्रम जारी है। वर्ष 2013 जैसे हालात बनने लगे हैं। वर्ष 2013 में भी सावन के तीसरे सोमवार तक गंगा तटवर्ती बस्तियों में दूर तक पहुंच गई थीं। वहीं, गंगा के चलते वरुणा का वेग भी बेलगाम होता दिख रहा है। दोनों नदियों के तटवर्ती दर्जनों मोहल्लों और गांवों में हाहाकारी स्थिति बनती जा रही है। 

उत्तराखंड के साथ मध्यप्रदेश और राजस्थान की भी बारिश का पानी आने से यमुना और गंगा में दबाव बना हुआ है। मंगलवार सुबह गंगा का जलस्तर 71.74 मीटर था जो अगले दस घंटों में 14 सेमी बढ़ाव के साथ 71.88 मीटर पहुंच गया था। गंगा में बढ़ाव की औसत दर 1.4 सेमी प्रति घंटा है। सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक बढ़ाव की गति एक सेमी प्रति घंटा थी लेकिन शाम पांच बजे के बाद पुन: दो सेमी प्रति घंटा की दर से बढ़ाव दर्ज होने लगा।  गंगा और वरुणा के उफान से सैकड़ो बीघे में धान आदि खरीफ फसलों के साथ सब्जियों की खेती पूरी तरह डूब चुकी है। पशुओं के लिए चारा-पानी का संकट पैदा हो गया है। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से बिजली कटवाने के बाद प्रशासन अभी प्रभावित क्षेत्रों में रोशनी के समुचित प्रबंध नहीं कर सका है। बाढ़ से फंसे लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को मौसमी बीमारियों से बचाने की भी प्रशासन के सामने गंभीर चुनौती है। राहत शिविरों में भोजन और अनाज की शिकायतें बनी हुई हैं।

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