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पहला सोमवारः बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक पर बनी सहमति, पारंपरिक रूट से 11 यादवबंधुओं को मिली इजाजत

सावन के पहले सोमवार पर काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक को लेकर फंसा पेच सुलझा लिया गया है। पारंपरिक रूट से 11 यादवबंधु हर साल की तरह बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे। शुक्रवार को जलाभिषेक को लेकर...

पहला सोमवारः बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक पर बनी सहमति, पारंपरिक रूट से 11 यादवबंधुओं को मिली इजाजत
वाराणसी लाइव हिन्दुस्तानFri, 23 Jul 2021 04:14 PM

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सावन के पहले सोमवार पर काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक को लेकर फंसा पेच सुलझा लिया गया है। पारंपरिक रूट से 11 यादवबंधु हर साल की तरह बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे। शुक्रवार को जलाभिषेक को लेकर चन्द्रवंशी गोप सेवा समिति ओर प्रशासन के बीच बातचीत के बाद सहमति बन गई।

एसपी सिटी कार्यालय में चन्द्रवंशी गोप सेवा समिति और प्रशासन के अधिकारियों ने पहले सोमवार को होने वाले पारंपरिक जलाभिषेक को लेकर बैठक की। पहले सोमवार को बाबा विश्वनाथ सहित नौ शिवालयों पर यादवबंधुओं द्वारा होने वाले जलाभिषेक को लेकर चर्चा हुई। समिति  के अध्यक्ष लालजी यादव के अनुसार सहमति बनी कि प्रतीक चिन्ह पीतल के ध्वज और डमरू सहित 11 लोग परंपरा का निर्वहन करेंगे।

लालजी यादव ने बताया कि जलाभिषेक की परंपरा 1932 में अकाल के बाद शुरू हुई थी। देश में अकाल के कारण पशु-पक्षी भी जल के बिना मर रहे थे। तब बनारस के यादव समाज के भोला सरदार और चुन्नी सरदार ने बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक किया। जलाभिषेक के बाद ही जोरदार बारिश शुरू हो गई थी। तभी से जलाभिषेक की आस्था बढ़ती गई। 
 वर्तमान में जलाभिषेक का नेतृत्व भोला सरदार के बेटे लालजी यादव कर रहे हैं। लालाजी समिति के अध्यक्ष भी हैं। 

पिछले साल शुरू हुई परंपरा का विरोध

इससे पहले सावन के पहले सोमवार पर बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक को लेकर विवाद शुरू हो गया था। गोप सेवा समिति ने प्रशासन से किसी भी नई परंपरा को बंद करने का अनुरोध किया है। समिति के सदस्यों और अधिकारियों की बीच बातचीत के बाद भी इस मामले में कोई निर्णय नहीं हो सक था। काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के प्रथम सोमवार को यादव बंधुओं द्वारा जलाभिषेक की परंपरा है। गोप सेवा समिति वर्ष 1932 से परंपरा का निर्वहन करती आ रही है। नौ शिवालयों में जलाभिषेक निरंतर किया जा रहा है। पिछले साल एक दूसरे गुट को भी जलाभिषेक की अनुमति मिली थी, इसको लेकर ही इस बार विवाद शुरू था। गोप सेवा समिति का तर्क है कि जब किसी भी नई शुरुआत की इजाजत शासन की ओर से नहीं है तो पिछले साल क्यों दूसरे गुट को जलाभिषेक के लिए अलग से अनुमति दी गई। 

पदाधिकारियों का कहना था कि प्रशासन अपने रिकॉर्ड खंगाले और उसके अनुसार ही गोप सेवा समिति को जलाभिषेक की अनुमति दी जाए। समिति के लोग ही यदुवंशी समाज का ध्वज लेकर जलाभिषेक यात्रा में शामिल होते हैं। दूसरा गुट पारिवारिक परंपरा को सार्वजनिक बनाने का प्रयास कर रहा है। चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के अध्यक्ष लालजी यादव ने आरोप लगाया था कि जलाभिषेक की परंपरा को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरे पक्ष ने इस वर्ष भी जलाभिषेक की इजाजत के लिए आवेदन दे रखा है।

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