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किसानों को मिला मायावती का साथ, बोलीं- कृषि कानून पर दोबारा विचार करे केंद्र सरकार

नए कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान आक्रोश में हैं। पंजाब, हरियाणा और यूपी के हजारों किसान दिल्ली कूच के लिए राजधानी के बॉर्डरों पर डेरा जमाए बैठे हुए हैं। प्रदर्शनकारी किसान आज जंतर-मंतर या संसद...

किसानों को मिला मायावती का साथ, बोलीं- कृषि कानून पर दोबारा विचार करे केंद्र सरकार
हिन्दुस्तान टीम, लखनऊSun, 29 Nov 2020 09:20 AM
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नए कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान आक्रोश में हैं। पंजाब, हरियाणा और यूपी के हजारों किसान दिल्ली कूच के लिए राजधानी के बॉर्डरों पर डेरा जमाए बैठे हुए हैं। प्रदर्शनकारी किसान आज जंतर-मंतर या संसद भवन जाकर प्रदर्शन कर सकते हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कृषि बिल को लेकर सरकार को नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि देश में किसान आक्रोशित हैं।

मायावती ने रविवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से सम्बन्धित हाल में लागू किए गए तीन कानूनों को लेकर अपनी असहमति जताते हुए पूरे देश में किसान काफी आक्रोशित व आन्दोलित भी हैं। इसके मद्देनजर, किसानों की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केन्द्र सरकार अगर पुनर्विचार कर ले तो बेहतर।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के किसान बिल के विरोध में दिल्ली कूच कर रहे हैं। केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ हजारों किसान आंदोलनरत हैं। 'दिल्‍ली चलो' मार्च निकाल रहे हैं। इस मार्च को रोकने के लिए हरियाणा और पंजाब सरकार ने अपने बॉर्डर सील कर दिए हैं। भारी पुलिस फोर्स भी तैनात किए गए हैं।

किसानों को क्या है नए कानून से डर
- पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी
- उनकी दलील है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलाएंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा
- नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली खत्म हो जाएगा। किसानों को अपनी फसलों का समुचित दाम नहीं मिलेगा और आढ़ती भी इस धंधे से बाहर हो जाएंगे

क्या है मांग
अहम मांग इन तीनों कानूनों को वापस लेने की है जिनके बारे में उनका दावा है कि ये कानून उनकी फसलों की बिक्री को विनियमन से दूर करते हैं। किसान प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 को भी वापस लेने की मांग कर रहे। उन्हें आशंका है कि इस कानून के बाद उन्हें बिजली पर सब्सिडी नहीं मिलेगी।

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