तीन दिन से गोरखपुर में भटक रहे थे कोल इडिया के पूर्व जीएम, गूगल की मदद से परिवार से हुआ सम्पर्क
तीन दिन से गोरखपुर में भटक रहे झारखण्ड में धनबाद कोल इंडिया पूर्व महाप्रबंधक को जीआरपी ने गूगल की मदद से उनके परिजनों से मिलवाया। गोरखपुर आए परिजन शुक्रवार को उन्हें अपने साथ गांव लेकर चले गए। उनके...
तीन दिन से गोरखपुर में भटक रहे झारखण्ड में धनबाद कोल इंडिया पूर्व महाप्रबंधक को जीआरपी ने गूगल की मदद से उनके परिजनों से मिलवाया। गोरखपुर आए परिजन शुक्रवार को उन्हें अपने साथ गांव लेकर चले गए। उनके परिवार के लोगों ने भोपाल में उनकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी। यात्री मित्र के सूचना देने पर जीआरपी थाना प्रभारी व दारोगा थाने ले आए थे। गांव का नाम व पता बताने पर गूगल की मदद से स्थानीय थानेदार को फोन कर मुखिया का नंबर लेकर घरवालों को जानकारी दी। शुक्रवार को गोरखपुर पहुंचे भाई व रिश्तेदार पूर्व जीएम को घर ले गए।
रोहतास बिहार के पवनी गांव निवासी सुदर्शन सिंह कोल इंडिया धनबाद में जीएम थे। दो साल पहले ब्रेन हैमरेज होने से उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी जिसके बाद से वह पत्नी सुशीला व छोटे बेटे रोशन के साथ भोपाल में रह रहे थे। घरवालों से वह गांव जाने के लिए कह रहे थे। उसके बाद अकेले ही 28 दिसंबर की रात वह बिना किसी को बताए घर से निकल गए। देर रात तक खोजबीन करने के बाद पता न चलने पर परिवार के लोगों ने गुमशुदगी दर्ज कराई। 29 दिसंबर को ट्रेन से सुदर्शन गोरखपुर पहुंच गए। गोरखपुर पूरी तरह से अनजान होने की वजह से श्री सिंह स्टेशन के बाहर परिसर में बैठ गए। तीन दिन से उन्हें बैठा देख 31 दिसंबर की शाम को एक गाड़ी चालक ने यात्री मित्र को सूचना दी। यात्री मित्र ने जीआरपी को सूचना दी जिसके बाद गूगल की मदद से उनके परिवारीजनों को सूचित कर बुलाया गया।
गूगल की मदद से दारोगा ने ढूंढा गांव
यात्री मित्र के जानकारी देने पर जीआरपी थाना प्रभारी उपेंद्र श्रीवास्तव व दारोगा दीपक चौधरी उन्हें थाने ले आए। पूछने पर उन्होंने अपना नाम सुदर्शन सिंह, पता ग्राम पवनी, जिला रोहतास बताया। जिसके बाद दारोगा ने गूगल की मदद से स्थानीय थानेदार का नंबर पता किया। उनके पवनी गांव के मुखिया का नंबर लेकर सुदर्शन के भाई वीरेंद्र को जानकारी दी। खबर मिलते ही गुरुवार की देर रात में रिश्तेदारों के साथ वीरेंद्र गोरखपुर पहुंच गए। शुक्रवार की सुबह सुदर्शन को घर ले गए। गोरखपुर जीआरपी थाना के प्रभारी निरीक्षक उपेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि कोल इंडिया धनबाद के पूर्व जीएम की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। भटककर वह गोरखपुर आ गए थे। पूछने पर केवल अपना व गांव का नाम बता पा रहे थे। गूगल की मदद से थानेदार व मुखिया का नंबर लेकर उनके भाई को सूचना दे दी गई थी जिसके बाद परिजन उन्हें घर ले गए।