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पर्यावरण के लिए संजीवनी बना लॉकडाउन, लखनऊ की हवा की गुणवत्ता में 60 प्रतिशत तक सुधार 

पर्यावरण के लिए लॉकडाउन संजीवनी साबित हुई है। इस दौरान हवा की सेहत में अप्रत्याशित सुधार हुआ। राजधानी लखनऊ में पिछले कई वर्षों से मानक से दो गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुकी हवा की गुणवत्ता में 60...

पर्यावरण के लिए संजीवनी बना लॉकडाउन, लखनऊ की हवा की गुणवत्ता में 60 प्रतिशत तक सुधार 
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 05 Jun 2020 01:04 PM
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पर्यावरण के लिए लॉकडाउन संजीवनी साबित हुई है। इस दौरान हवा की सेहत में अप्रत्याशित सुधार हुआ। राजधानी लखनऊ में पिछले कई वर्षों से मानक से दो गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुकी हवा की गुणवत्ता में 60 प्रतिशत तक सुधार हुआ। ध्वनि प्रदूषण में भी 25 प्रतिशत की कमी हुई। शुरू के तीन लॉकडाउन तक तो हवा की गुणवत्ता मानक से बहुत नीचे पहुंच गई थी लेकिन चौथे लॉकडाउन में ढील मिलते ही मानक के पार पहुंचने लगी। 

भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) ने गुरुवार को हर वर्ष की भांति बारिश से पूर्व प्री मानसून रिपोर्ट जारी की। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एससी बर्मन व उनकी टीम ने इस बार लॉकडाउन के चार चरणों में अलग-अलग अध्ययन किया। इसमें पीएम10, पीएम2.5, सल्फर डाई आक्साइड (एसओ2), नाइट्रोजन डाई आक्साइड (एनओ2) की मात्रा पिछले वर्ष की तुलना कम रिकार्ड हुई है। पीएम10 की औसत मात्रा में 44.9 प्रतिशत व पीएम 2.5 की मात्रा में 35.2 प्रतिशत की कमी हुई है। सबसे ज्यादा असर चारबाग क्षेत्र में रहा।

यहां पीएम10 की मात्रा में 59.7 प्रतिशत माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर तक कमी हुई है। पिछले वर्ष यहां पर पीएम10 की मात्रा 190.9 माइक्रोग्राम थी जो इस वर्ष घटकर 77.0 माइक्रोग्राम पहुंच गई। पीएम2.5 की मात्रा भी यहां सबसे ज्यादा 52.6 प्रतिशत तक कमी हुई है। वैज्ञानिकों ने पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाए रखने के लिए स्थाई उपाय के सुझाव दिए हैं।

चौथे लॉकडाउन में बढ़ा प्रदूषण
बीते 25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से आईआईटीआर ने मानीटरिंग शुरू की। पहले तीन चरण के लॉक डाउन में वायु प्रदूषण की स्थिति मानक 100 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से कम रहा। लॉक डाउन एक में 75.0, लॉक डाउन दो में 88.3 व लॉक डाउन तीन में पीएम10 की मात्रा 87.4 रिकार्ड हुई। लेकिन चौथे लॉकडाउन में इसकी मात्रा मानक को पार करते हुए 111.9 माईक्रोग्राम पहुंच गई। यही स्थिति पीएम2.5 की रही। मानक 60 माइक्रोग्राम की तुलना में इसकी मात्रा लॉक डाउन प्रथम में 44.8, द्वितीय में 51.8, तृतीय में 53.7 रही। लेकिन चौथे में बढ़कर 63.2 माईक्रोग्राम पहुंच गई। 

विकासनगर व आलमबाग में सबसे ज्यादा प्रदूषण
इस वर्ष प्री मानसून रिपोर्ट में आवासीय क्षेत्र में विकासनगर व व्यावसायिक क्षेत्र में आलमबाग सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा। विकासनगर में पीएम10 की मात्रा 112 माइक्रोग्राम व पीएम2.5 की मात्रा 65 माइक्रोग्राम रही। सबसे कम प्रदूषण गोमतीनगर में रहा। यहां पर पीएम10 की मात्रा 90.1 व पीएम2.5 की मात्रा 52.8 माइक्रोग्राम रही। दूसरी ओर व्यावसायिक क्षेत्र में आलमबाग में सबसे ज्यादा प्रदूषण रहा। यहां पीएम10 की मात्रा 112.8 व पीएम2.5 की मात्रा 59.6 रिकार्ड हुई। 

पहली बार आईआईटीआर की हुई मानीटरिंग
पहली बार आईआईटीआर कार्यालय के आसपास हवा की गुणवत्ता की मानीटरिंग की गई। आलमबाग व चारबाग के साथ इसे भी व्यावसायिक क्षेत्र में शामिल किया गया। यहां पर पीएम10 की मात्रा 90.1 व पीएम2.5 की मात्रा 61.2 रिकार्ड की गई है। 

ध्वनि प्रदूषण भी कम
लॉकडाउन के कारण सड़क पर वाहनों की कमी से इस बार ध्वनि प्रदूषण भी कम रिकार्ड हुआ है। सबसे ज्यादा 25.17 प्रतिशत की कमी गोमतीनगर में रही। यहां पिछले वर्ष दिन में ध्वनि का स्तर 72.7 डेसिबल था जो घटकर 54.4 हो गया। सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण व्यावसायिक क्षेत्र चारबाग क्षेत्र में रहा। यहां ध्वनि का स्तर 68.3 डेसिबल रहा। हालांकि पिछले वर्ष यहां पर ध्वनि का स्तर 86.6 डेसिबल रिकार्ड किया गया था।

वाहनों में 9.70 की वद्धि
पिछले वर्ष पंजीकृत वाहनों की संख्या 21 लाख 94 हजार, 261
इस वर्ष पंजीकृत वाहनों की संख्या 24 लाख, सात हजार, 190

क्या है नुकसान
वायु प्रदूषण बढ़ने से मुख्यत: सांस की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। धूल के जो कण शरीर प्रवेश करते हैं, वह कई प्रदूषित स्थानों से होकर गुजरते हैं। उन स्थानों जिस तरह का संक्रमण होगा, शरीर में पहुंचकर संक्रमित कर सकता है। सबसे खतरानाक पीएम2.5 कणों का बढ़ना माना जा रहा है। ये कण इतने छोटे होते हैं, कि सांस की नली के माध्यम से खून की नली में भी पहुंच जाते हैं और गंभीर बीमारी का शिकार बना सकता है।
 

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