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कोरोना की दहशत : उद्यमियों ने चीन से रिश्ते तोड़ने की शुरुआत की

चीन से पूरी दुनिया में फैले कोरोना की दहशत। विश्वव्यापी लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का आह्वान। इस बीच चीन को लेकर सीमा पर गतिरोध। ऐसे हालात में गोरखपुर औद्योगिक विकास...

कोरोना की दहशत : उद्यमियों ने चीन से रिश्ते तोड़ने की शुरुआत की
अजय श्रीवास्तव,गोरखपुर।Wed, 03 Jun 2020 06:39 AM
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चीन से पूरी दुनिया में फैले कोरोना की दहशत। विश्वव्यापी लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का आह्वान। इस बीच चीन को लेकर सीमा पर गतिरोध। ऐसे हालात में गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) के उद्यमी 'वोकल फॉर लोकल' होने लगे हैं। अब यहां बनने वाले पंखे और कूलर में चीन की बियरिंग नहीं लगती। यहां की चप्पलों में 12 करोड़ का चीनी पॉलीमर नहीं लगता। फर्नीचरों में भी बेंगलुरु का ही कच्चा माल खपने लगा है। हालांकि एल्युमिनियम की दीवार बनाने वाली फैक्ट्रियों को अभी स्वदेशी कच्चा माल न मिल पाने का मलाल है। इसको लेकर केंद्र सरकार तक समस्या पहुंचाने की तैयारी है।

गीडा के उद्यमी चीन से सालाना करीब 50 करोड़ रुपये का कच्चा माल मंगाते हैं। कुछ उद्यमी सीधे सामान मांगते हैं तो कुछ एजेंटों के माध्यम से डील करते हैं। कोरोना के चलते बदले हालात में कमोबेश सभी फैक्ट्री मालिकों ने चीन से रिश्ता तोड़ना शुरू कर दिया है। कूलर, पंखा और सिलाई मशीन बनाने वाले एक प्रमुख उद्यमी सनूप कुमार साहू बताते हैं कि पहले बियरिंग चीन से मंगाते थे। चीनी बियरिंग सस्ती तो होती थी लेकिन टिकाऊ नहीं होती थी। अब स्वदेशी बियरिंग ही लगा रहे हैं। इसकी कीमत चीन के मुकाबले 20 से 25 रुपए ज्यादा जरूर है, लेकिन टिकाऊ है। खुद भी संतोष है कि चीन का सामान अपने उत्पाद में नहीं लगा रहे हैं। सनूप का कहना है कि देश की अन्य ब्रांडेड कूलर और पंखे की कंपनियों से कम्पटीशन को लेकर निर्माण में जर्मनी और जापान की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

चप्पल और फर्निचर की फैक्ट्री में भी चीन से तौबा
गीडा की प्रमुख चप्पल फैक्ट्री एआरपी में पॉलीमर का आयात चीन से ही होता रहा है। फैक्ट्री के निदेशक मोहम्मद असद खान बताते हैं कि सालाना करीब 12 करोड़ का पॉलीमर चीन से मंगाते थे। अब इंडियन आयल और रिलायंस से पॉलीमर मंगा रहे हैं। मुनाफा भले ही कम हो जाये, अब चीन से कच्चा माल नहीं मंगाएंगे। 

वियतनाम और बेंगलूरु से मंगा रहे माल
गीडा में फर्नीचर बनाने वाले उद्यमी आरिफ साबिर कहते हैं कि कुर्सियों और मेज के लिए पहले कच्चा माल चीन से मंगाते थे। करीब 4 करोड़ का कारोबार चीन से था। अब कच्चा माल बेंगलूरु की कंपनी से मंगा रहे हैं। फिलहाल चीन के मुकाबले थोड़ा महंगा पड़ रहा है लेकिन देश के अन्य उद्यमी भी स्वदेशी कंपनी से कच्चा माल लेंगे तो चीन को चुनौती देना आसान हो जाएगा। उद्यमी आरएन सिंह भी आरिफ की बातों से इत्तेफाक रखते हैं। वह कहते हैं कि अगरबत्ती बनाने में प्रयोग होने वाली इंसेंस स्टिक पहले वह चीन से मंगाते थे, लेकिन अब उसे वियतनाम से मंगाया जा रहा है। 

एल्युमिनियम उत्पाद के लिए केंद्र तक समस्या पहुंचाने की तैयारी
उद्यमी आकाश जालान कार्यालयों में एल्मुनियम की दीवार के लिए कच्चा माल चीन से मंगाते रहे हैं। इस तरह का उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्रियों में चीन से माल मंगाने की मजबूरी है। आकाश जालान बताते हैं कि अन्य प्रमुख उद्यमियों से बात कर केन्द्र सरकार को पत्र लिख रहे हैं कि देश में ही एल्युमिनियम कंपनियों को चीन जैसा माल तैयार करने को कहा जाए। इससे आयात नहीं करना पड़ेगा।

चीन को चुनौती देने के लिए उद्यमी पूरी तरह तैयार हैं। सरकार को भी उद्यमियों की मदद को लेकर आगे आना होगा। इसके लिए उद्यमियों को कुछ छूट देने की जरूरत है। -विष्णु अजीत सरिया, अध्यक्ष चेम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज

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