अमेठी एनएच 56 बाईपास घोटाले की जांच में ईडी ने मांगी रिपोर्ट, बढ़ सकती हैं अफसरों की मुश्किलें
अमेठी एनएच 56 बाईपास घोटाले की जांच में ईडी ने रिपोर्ट मांगी। मामले में ईडी की एंट्री के बाद मुआवजा वितरण में शामिल रहे अधिकारियों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

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अमेठी जिले की मुसाफिरखाना तहसील अंतर्गत एनएच- 56 से जुड़े दो बाईपास के निर्माण में हुई 384 करोड़ रुपए की गड़बड़ी के मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने डीएम से रिपोर्ट मांगी है। ईडी द्वारा यह कार्रवाई डीएम द्वारा शासन में जांच रिपोर्ट भेजे जाने के बाद की गई है। मामले में ईडी की एंट्री के बाद मुआवजा वितरण में शामिल रहे अधिकारियों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
महीने भर पहले मुसाफिरखाना क्षेत्र में एनएच 56 से जुड़े दो बाईपासों के मुआवजा वितरण में घपले का मामला संज्ञान में आया था। जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में एनएचएआई की ओर से दायर आर्बिट्रेशन वाद में कार्यवाही करते हुए आर्बिट्रेटर ने एसडीएम मुसाफिरखाना से प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मांगी तो मुआवजा वितरण में गड़बड़ी पाई गई। इसके बाद डीएम ने एडीएम न्यायिक आरके द्विवेदी की अगुवाई में चार सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी। जांच टीम की छानबीन में घोटाले की परतें एक-एक करके सामने आ गईं। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि मुआवजा वितरण में लगभग 384 करोड रुपए अधिक किसानों को बांट दिए गए हैं। जांच टीम की रिपोर्ट डीएम ने शासन को भेज दी थी।
इसके साथ ही पहले चरण में 1062 किसानों को नोटिस जारी अपना पक्ष रखने को कहा था। वहीं गर्दन फंसती देख एनएचआई ने शेष 18 गांवों में भी किसानों को पार्टी बनाते हुए 1770 किसानों को नोटिस जारी किया है। दो गांवों को लेकर आर्बिट्रेशन वाद अभी भी नहीं दायर किया गया है।
दरअसल दोनों बाईपासों के अंतर्गत 30 गांवों के किसानों को मुआवजा वितरित किया गया था। शासन स्तर पर पूरा मामला विचाराधीन चल रहा है। प्रशासन से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मामले में जांच एजेंसी ईडी ने दखल दिया है। ईडी ने डीएम को पत्र लिखकर पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। यह भी बात सामने आई है कि ईडी ने पूछा है कि एफआईआर क्यों नहीं की गई? सूत्र बताते हैं कि मामला राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की वित्तीय क्षति से जुड़ा है, इसलिए इसमें एजेंसी सक्रिय हुई है। इस संबंध में डीएम राकेश कुमार मिश्र ने कुछ भी बताने से साफ इनकार किया।