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अयोध्या में मंदिर निर्माण के दौरान रामलला के विराजने का स्थान बदलेगा

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केंद्र सरकार की ओर से निर्णय के अनुरूप राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में ही रामजन्मभूमि न्यास, विश्व हिन्दू परिषद...

अयोध्या में मंदिर निर्माण के दौरान रामलला के विराजने का स्थान बदलेगा
आदर्श शुक्ल, अयोध्या | Sun, 17 Nov 2019 12:00 PM
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अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केंद्र सरकार की ओर से निर्णय के अनुरूप राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में ही रामजन्मभूमि न्यास, विश्व हिन्दू परिषद और विराजमान रामलला के सखा की ओर से मंदिर निर्माण शुरू होने के वक्त प्रभावी की जाने वाली नई व्यवस्थाओं पर मंथन शुरू कर दिया गया है। इसी के तहत प्रस्ताव तैयार किया गया है कि मंदिर निर्माण के दौरान जन्मभूमि में रामलला के विराजने के मौजूदा स्थान को परिवर्तित किया जाएगा।

रामजन्मभूमि न्यास, विश्व हिन्दू परिषद और विराजमान रामलला के सखा के बीच यह सहमति बन गई है कि जब अयोध्या में रामजन्मभूमि में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण केंद्र सरकार की ओर से गठित किए जाने वाले नए ट्रस्ट की देखरेख में शुरू हो तो उस दौरान भी अनवरत आराध्य का दर्शन-पूजन जारी रहे। नियमित आरती के साथ भोग लगाने की प्रक्रिया भी बाधित न होने पाए। इसीलिए यह प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है कि रामलला को मौजूदा मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर से कहीं अन्यत्र विराजमान किया जाएगा। इधर मंदिर निर्माण जारी रहेगा और उधर रामजन्मभूमि के 67 एकड़ भूमि में ही किसी स्थान पर अस्थायी तौर पर एक मंदिर बनाकर रामलला की पूजा-अर्चना पहले की तरह जारी रहेगी।

विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश  ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि इस आशय का प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर से गठित किए जाने वाले ट्रस्ट को सौंपा जाएगा। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण के दौरान रामलला का विग्रह जन्मभूमि में ही किसी अन्य स्थान पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। 67 एकड़ भूमि में  नया स्थान कहां पर होगा, नए ट्रस्ट के माध्यम से वास्तुकार, प्रमुख धर्माचार्यों और हिन्दू समाज के प्रबुद्धजनों से विमर्श कर तय किया जाएगा। विराजमान रामलला के सखा त्रिलोकी नाथ पांडेय ने भी सहमति जताते हुए कहा कि मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद भी दर्शन-पूजन की नित्य व्यवस्था प्रभावी करनी होगी। श्री पांडेय ने मंदिर निर्माण पूरा होने में साढ़े तीन से चार वर्ष लगने की उम्मीद जताई।  

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