दिवाली पर रोशनी के साथ पर्यावरण भी शुद्ध करेंगे गोबर से बने दीये
प्रदूषण के खतरनाक जोन में चल रहे मुरादाबाद वासियों के लिए एक अच्छी खबर है। इस दिवाली इको फ्रेंडली गाय के गोबर के दीये वातावरण शुद्ध करेंगे और उजियारा भी फैलाएंगे। मुरादाबाद ही नहीं प्रदेश के नोएडा,...
प्रदूषण के खतरनाक जोन में चल रहे मुरादाबाद वासियों के लिए एक अच्छी खबर है। इस दिवाली इको फ्रेंडली गाय के गोबर के दीये वातावरण शुद्ध करेंगे और उजियारा भी फैलाएंगे। मुरादाबाद ही नहीं प्रदेश के नोएडा, आगरा, बरेली समेत कई जिलों से इन दीयों की मांग आ रही है। मनोहरपुर के एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस सेंटर में ये तैयार किए जा रहे हैं। इन दीयों की खासियत है कि जब इनको दीपावली पर जलाया जाएगा तो पहले बत्ती और तेल जलेगा इसके बाद गोबर का दीपक भी जल जाएगा। इससे न सिर्फ उजियारा होगा बल्कि गाय के गोबर से तैयार इको फ्रेंडली दीये वातावरण भी शुद्ध करेंगे।
यही नहीं इन जले हुए दीपकों की राख को पेड़ पौधों में डाला जा सकता है। इस राख का इस्तेमाल खाद की तरह किया जा सकता है। मुरादाबाद के मनोहरपुर गांव स्थिति एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस सेंटर में डा. दीपक मेंहदीरत्ता ने मशीन से इन दीयों को तैयार करवाया है। उन्होंने बताया कि इन पर्यावरण मित्र दीपकों की मांग मुरादाबाद ही नहीं कई जिलों से आ रही है वह आर्डर पूरे नहीं कर पा रहे हैं। तकरीबन बीस हजार दीपक अभी तक बिक चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के दीपक से वातावरण शुद्ध होगा। यह अभिनव प्रयोग काफी कारगर है। मुरादाबाद प्रदूषित शहरों के टॉप शहरों में है। ऐसे में लोग विशेष मौकों पर परंपरागत तरीकों में कुछ बदलाव करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर सकते हैँ।
ढाई रुपए का एक दीपक, मशीन से एक बार में दस होते हैं तैयार
तैयार एक दीपक ढाई रुपए में बिक रहा है। एक बार में मशीन से एक मिनट में दस दीपक तैयार होते हैं। इस तरह लगातार दीपक बनाने का सिलसिला चल रहा है। लगातार इनका निर्माण किया जा रहा है। जिससे ज्यादा से ज्यादा आपूर्ति की जा सके। मुरादाबाद के पांच सौ लोगों ने आर्डर किया हुआ है जिसमें हर दिन बढोत्तरी हो रही है।
ऐसे तैयार किया जाता है दीपक
एक किलो गाय के गोबर में 100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी मिलाई जाती है। 200 ग्राम ग्वार गोंद या मक्के का स्टार्च भी मिलाया जाता है। इसके बाद मशीन में मैटीरियल डाल कर दीपक तैयार किया जाता है। इसके निर्माण में किसी तरह की हानिकारक सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
कन्नौज और रामपुर की महिलाओं को ट्रेनिंग दी
एग्रीक्लीनिक एग्री बिजनेस सेंटर से कन्नौज और रामपुर की महिलाओं को गाय के गोबर से दीपक बनाने की ट्रेनिंग भी दी गई है। कन्नौज में भी इस तरह के दीप बनाकर महिलाएं बेच रही हैं। रामपुर में इस साल ट्रेनिंग लेने वाली महिलाओं ने दीपक नहीं बनाए हैं।
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