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डेंगू वायरस से इंसान को ब्रेन स्ट्रोक और इंसेफेलाइटिस का भी खतरा

डेंगू वायरस बड़ा घातक है, इसके संक्रमण से इंसान को ब्रेन स्ट्रोक या पैरालिसिस और इंसेफेलाइटिस हो सकते हैं। इंसेफेलाइटिस से ब्रेन के न्यूरॉन क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिससे किसी भी तरह की अपंगता आ सकती...

डेंगू वायरस से इंसान को ब्रेन स्ट्रोक और इंसेफेलाइटिस का भी खतरा
वरिष्ठ संवाददाता, कानपुरThu, 02 Dec 2021 07:59 PM

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डेंगू वायरस बड़ा घातक है, इसके संक्रमण से इंसान को ब्रेन स्ट्रोक या पैरालिसिस और इंसेफेलाइटिस हो सकते हैं। इंसेफेलाइटिस से ब्रेन के न्यूरॉन क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिससे किसी भी तरह की अपंगता आ सकती है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में हुई एक रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है। वर्ष 2018 से वर्ष 2020 के बीच 260 मरीजों पर हुए रिसर्च को एनल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित किया गया है, इसके साथ ही रिसर्च को अन्तरराष्ट्रीय मान्यता मिली है और दावा किया गया है कि विश्व का यह पहला रिसर्च है कि जिसमें डेंगू संक्रमण से ब्रेन पर पड़ने वाले असर को देखा गया है।

शोधकर्ता जीएसवीएम के डॉ. विशाल गुप्ता का कहना है कि रिसर्च में मरीजों की तीनों कैटेगरी यानी सामान्य डेंगू, हैमरेजिक डेंगू और शॉक सिंड्रोम तीनों तक केस लिए गए हैं। इनमें सबसे अधिक प्रभाव सामान्य डेंगू और शॉक सिंड्रोम वाले मरीजों में देखे गए हैं। इनमें पैरालिसिस और इंसेफेलाइटिस के केस बढ़े मिले।

10 हजार तक प्लेटलेट पर अतिरिक्त प्लेटलेट की जरूरत नहीं पड़ी
डॉ. विशाल गुप्ता का कहना है कि रिसर्च में शामिल हैमरेजिक डेंगू के अधिकतर मामलों में प्लेटलेट नहीं चढ़ाने की जरूरत पड़ी। 10 हजार तक प्लेटलेट को दवाओं को से मैनेज किया गया है। यह जरूर है कि पैरालिसिस या किसी अन्य अंगों पर असर पड़ने से उसे दूसरी बीमारियों के इलाज की दवा देनी पड़ी।

इस तरह की पहली रिसर्च
इसे इस तरह की पहली रिसर्च होने का दावा किया गया है। रिसर्च पत्रिका अफ्रीका हेल्थ रिसर्च आरगेनाइजेशन की ओर से निकाली जा रही है। मुख्यालय स्कॉटलैंड में है। ट्रापिकल देशों में संक्रामक रोगों, महामारी रोगों के इलाज, इम्यून सिस्टम से जुड़ी बीमारियों पर होने वाले टॉप-रैंक ट्रापिकल रिसर्च को मान्यता मिलती है।

डेंगू वायरस से होने वाली जटिलताओं पर रिसर्च किया गया है। इसके नतीजे बिल्कुल नए हैं अभी तक यही समझा जा रहा था कि डेंगू के संक्रमण से किसी भी तरह की जटिलता आ सकती है। मगर रिसर्च मानकों पर नहीं थे। इस रिसर्च में पैरालिसिस और इंसेफेलाइटिस को फोकस किया गया है। शोध में  खुद लगातार दो वर्षों तक आने वाले मरीजों पर किया है। मेरी यूनिट के जूनियर डॉक्टर भी शामिल थे।  - डॉ. विशाल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन विभाग हैलट 

क्या है डेंगू बुखार
डेंगू में 104 फारेनहाइट डिग्री का बुखार होता है। डेंगू बुखार, आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है। यह वायरस वाला एडीज मच्छर से फैलता। यह रोग मुख्य रूप से दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। दुनिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में डेंगू के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं, जिनमें से भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण-पूर्व एशिया, मेक्सिको, अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में तो बड़ी आबादी इस बुखार से प्रभावित होती है।

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