पुलिस हिरासत में मौत: हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब, 20 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोण्डा के नवाबगंज थाने में हाल ही में हिरासत में हुई मौत के मामले में राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा तलब किया है।
इस खबर को सुनें
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोण्डा के नवाबगंज थाने में हाल ही में हिरासत में हुई मौत के मामले में राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा तलब किया है। न्यायालय ने मामले में मैजिस्ट्रियल जांच की रिपोर्ट अगली सुनवाई पर सीलबंद लिफाफे में पेश करने के आदेश दिए हैं। उधर पीड़ित पक्ष ने मामले में कैविएट दाखिल की है। मामले की अगली सुनवाई 20 अक्तूबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति संजय कुमार पचौरी की खंडपीठ ने मामले में अभियुक्त बनाए गए, नवाबगंज थाने के तत्कालीन एसएचओ तेज प्रताप सिंह की याचिका पर पारित किया। याची के अधिवक्ता शचीन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि मृतक से जब पूछताछ चल रही थी तब याची पूछताछ में मौजूद नहीं था, बल्कि वह अपने कार्यालय में मृतक के पिता, ताऊ व फूफा के साथ बैठा था। मृतक से एसओजी टीम के लोग पूछताछ कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि मृतक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी किसी भी चोट का उल्लेख नहीं है बल्कि उसकी मृत्यु का कारण कार्डियोजेनिक शॉक बताया गया है। उनका कहना था कि इससे स्पष्ट है कि मृतक की मृत्यु मारपीट के कारण नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि 14 सितम्बर को हत्या के एक मामले में पूछताछ के लिए संविदा लाइनमैन देव नारायण उर्फ देवा को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था। आरोप है कि हिरासत में पूछताछ के दौरान उसकी थाने में ही मौत हो गई। लेकिन पुलिस ने मामला दबाए रखा।
पीड़ित पक्ष ने दाखिल की कैविएट
नवाबगंज प्रकरण में मृत देवनारायण यादव के पिता राम बचन की ओर से हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की गई है। राम बचन के अधिवक्ता डा. प्रमोद कुमार मौर्य ने बताया कि हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल करने का कहा है। अधिवक्ता डा. मौर्य ने बताया कि तत्कालीन एसएचओ तेज प्रताप सिंह ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में याचिका दायर कही है। हमने से अदालत से गुहार लगाई है कि इस संबंध में इस संबंध में हमारा पक्ष सुने बगैर कोई आदेश न पारित किया जाए।