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देवरिया: बेटियों ने पूरी की पिता की अंतिम इच्छा, रूढि़यां तोड़ीं, अर्थी को दिया कंधा 

हरेन्‍द्र, छह बेटियोंं केे पिता थे। उन्‍हें अपनी बेटियों पर बड़ा नाज था। बेटियों को बेटों से बढ़कर पाला। अच्‍छी से अच्‍छी शिक्षा दिलाई। उन्‍हें जिंदगी में अपने सपने पूरे करने को...

देवरिया: बेटियों ने पूरी की पिता की अंतिम इच्छा, रूढि़यां तोड़ीं, अर्थी को दिया कंधा 
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,देवरिया Mon, 07 Sep 2020 06:27 PM
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हरेन्‍द्र, छह बेटियोंं केे पिता थे। उन्‍हें अपनी बेटियों पर बड़ा नाज था। बेटियों को बेटों से बढ़कर पाला। अच्‍छी से अच्‍छी शिक्षा दिलाई। उन्‍हें जिंदगी में अपने सपने पूरे करने को हमेशा प्रेरित किया। हरेन्‍द्र को जब कभी कोई बेटा न होने की याद दिलाता तो वह मुस्‍कुरा कह देते-'मेरी बेटियां किसी से कम हैं क्‍या?  '
वाकई बेटियों ने भी यह साबित कर दिखाया कि वे किसी से कम नहीं। पिता ने देह छोड़ी तो पुरानी परम्‍पराओं को दरकिनार कर उन्‍होंने बेटों की तरह पिता की अर्थी को कंधा दिया। बेटियों के इस साहस को हर कोई दंग होकर देखता रह गया। मामला देवरिया के बनकटा क्षेत्र के जिरवनिया गांव का है। 

गांव के हरेंद्र शर्मा की छह बेटियां में से तीन (सुमन, पूनम और शिला) की शादी हो चुकी है जबकि निक्की,पूजा और मनीषा अभी पढ़ाई कर रही हैं। गांववाले फक्र से बताते हैं कि हरेंद्र ने अपनी बेटियों को लड़कों की तरह पाल पोस कर बड़ा किया। उच्‍च शिक्षा दिलाई। हरेंद्र मधुमेह और लीवर की बीमारी से जूझ रहे थे। बीमारी में बेटी और दामाद इलाज के लिए उन्‍हें दिल्‍ली ले गए। तब से उनका इलाज दिल्‍ली से ही चल रहा था। शनिवार को उनकी मौत हो गई। बेटा नहीं होने के कारण कंधा कौन देगा इस बात को लेकर गांववालों में बातचीत हो रही थी। 

जब यह प्रश्‍न हरेंद्र की बेटियों के सामने आया तो उन्‍होंने कहा कि यह तो कोई बात ही नहीं है। उनके पिता ने उन्‍हें बहुत दुलार से पाला है। कभी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया। कमी नहीं होने दी। तो बेटा नहीं तो क्‍या वे अपने पिता की संतान हैं। पिता की अर्थी को कंधा वही देंगी। गांववालों ने बेटियों की यह बात सुनी तो उन्‍होंने भी इसकी सराहना की। एक गांववाले ने कहा, 'वक्‍त बदल चुका है। आज बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं है। बेटियां ऐसी ही होने लगें तो धीरे-धीरे समाज की सोच भी पूरी तरह बदल जाएगी।'  अपने पिता के साथ छोड़ जाने से गमगीन बेटियों ने रोते-बिलखते उनकी अर्थी को कंधा दिया। स्‍याही नदी के किनारे घाट पर अंतिम संस्‍कार किया गया। मुखाग्नि बड़ी लड़की के पुत्र आयुष शर्मा ने दी। 

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