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आतंकियों की गोलियों के बीच दादा के शव के पास बैठे बच्चे को कैसे बचाया CRPF के पवन ने, पढ़े पूरी कहानी 

कश्मीर के सोपोर में बुधवार को आतंकी हमले के दौरान एक बच्चे को बचाने वाले सीआरपीएफ के जवान पवन कुमार चौबे जिले के गोल ढमकवां गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि फायरिंग से डरे-सहमे तीन साल के...

आतंकियों की गोलियों के बीच दादा के शव के पास बैठे बच्चे को कैसे बचाया CRPF के पवन ने, पढ़े पूरी कहानी 
वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाताThu, 02 Jul 2020 09:05 AM
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कश्मीर के सोपोर में बुधवार को आतंकी हमले के दौरान एक बच्चे को बचाने वाले सीआरपीएफ के जवान पवन कुमार चौबे जिले के गोल ढमकवां गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि फायरिंग से डरे-सहमे तीन साल के बच्चे को जब उठाया तो वह मेरे सीने से चिपक गया। पवन कुछ क्षणों तक बच्चे को सीने से नहीं हटा सके। बाद में पास में खड़े एसओजी के जवानों को उसे सौंपा और घायल जवानों को अस्पताल पहुंचाने में जुट गए।

बुधवार को सोपोर से 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में पवन ने बताया कि सुबह 7.35 बजे 179 बटालियन के 50 जवान सोपोर मार्केट में ड्यूटी करने पहुंचे थे। जवान वाहन से उतर रहे थे कि पास की एक मस्जिद से आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। बताया, हमले की सूचना मिलते ही कमांडेंट व आठ जवानों के साथ बुलेटप्रूफ वाहन से मौके के लिए निकल पड़ा। वहां आतंकियों की गोली लगने से कार सवार एक बुजुर्ग नीचे गिर पड़े थे। उनका पौत्र दादा के शव पर बैठकर रोए जा रहा था। बच्चे की लगातार रोने की आवाज मेरे दिल को झकझोर रही थी। बकौल पवन-'बच्चे को गोली न लग जाए, यह सोच मैं क्रॉलिंग (कोहनी) के जरिए लगभग 80 मीटर दूरी तय करते हुए उसके पास पहुंचा और उसे गोद में उठा कर धीरे-धीरे सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ा। उसी बीच एसओजी टीम भी पहुंच गयी थी। एसओजी के जवानों को बच्चे को सौंपने के बाद मैंने मोर्चा संभाल लिया।' पवन ने बताया कि उठाने के बाद बच्चा चुप हो मुझे आशाभरी निगाहों से देखे जा रहा था। कुछ देर तक उसकी आवाज नहीं निकली थी। 

2012 में पवन ने नक्सलियों से लिया था मोर्चा 
पवन चौबे की सन-2010 में सीआरपीएफ में नियुक्ति के बाद एक साल की ट्रेनिंग हुई। फिर वह झारखंड में 203 कोबरा बटालियन में तैनात हुए। उन्होंने बताया कि पांच अप्रैल-2012 को नक्सलियों के साथ सीधे मुठभेड़ हो गई थी। सीआरपीएफ ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए दो नक्सलियों को मार गिराया गया था। इस दौरान हमारा भी एक साथी शहीद हो गया था। बुधवार के वाकये से वह पुरानी घटना ताजी हो गई।

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