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COVID-19 : कई मरीजों के लिए वेंटिलेटर बेकार, ऑक्सीजन मशीन से कोरोना को हराया

कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर नहीं, हाईफ्लो नेजल ऑक्सीजन मशीन वरदान साबित हो रही है। एल-3 अस्पताल एसआरएन से अब तक 40 से अधिक संक्रमित गंभीर मरीज इसी मशीन के सहारे स्वस्थ होकर...

COVID-19 : कई मरीजों के लिए वेंटिलेटर बेकार, ऑक्सीजन मशीन से कोरोना को हराया
प्रयागराज। नईम सिददीकी  Tue, 28 Jul 2020 12:38 PM
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कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर नहीं, हाईफ्लो नेजल ऑक्सीजन मशीन वरदान साबित हो रही है। एल-3 अस्पताल एसआरएन से अब तक 40 से अधिक संक्रमित गंभीर मरीज इसी मशीन के सहारे स्वस्थ होकर घर लौटे हैं। इसकी उपयोगिता को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने अब शासन से 15 हाईफ्लो नेजल मशीन की डिमांड की है। प्रस्ताव भेजा गया है। 

कोरोना महामारी की शुरुआत में केंद्र एवं प्रदेश सरकार का वेंटिलेटर पर खासा जोर था। इसी को ध्यान में रखते हुए जिले में स्वास्थ्य विभाग कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए अधिक से अधिक वेंटिलेटर की व्यवस्था में जुटा गया। बेली अस्पताल में 10 नए वेंटिलेटर खरीदे गए। एसआरएन अस्पताल में 40 वेंटिलेटर बेडों का कोविड आईसीयू तैयार किया गया। मगर, जानकर हैरानी होगी कि एल-3 अस्पताल एसआरएन के कोविड आईसीयू में वेंटिलेटर से अब तक एक भी कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज स्वस्थ होकर नहीं लौटा। अब तक जिले कोरोना से 48 मौतें हो चुकी हैं। इनमें सभी ने वेंटिलेटर पर दम तोड़ा। 

वहीं, हाईफ्लो नेजल ऑक्सीजन मशीन कोरोना संक्रमित जिन गंभीर मरीजों को लगाया गया, उनमें तकरीबन सभी ठीक हो कर वापस आए। ऐसे लोगों की संख्या 40 से अधिक बताई जा रही है। इसीलिए अब अस्पताल प्रशासन का पूरा जोर इस मशीन की संख्या बढ़ाने पर है। हालांकि अभी अस्पताल में हाईफ्लो नेजल ऑक्सीजन की सिर्फ तीन मशीनें हैं। ये तीनों दान की हुई हैं। 

आठ गुना दम में मिलता है वेंटिलेटर 
हाईफ्लो ऑक्सीजन मशीन वेंटिलेटर से काफी सस्ती भी हैं। एक वेंटिलेटर की कीमत 12 से 20 लाख रुपये होती है, जबकि हाईफ्लो ऑक्सीजन मशीन सिर्फ दो से ढाई लाख रुपये में मिलती है। यानि, आठ गुना दाम अधिक होने के बाद भी वेंटिलेटर कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के लिए उपयोगी साबित नहीं हो रहा है। 

दोनों में ये है फर्क 
वेंटिलेटर दो तरह का होता है। एक ट्यूब और दूसरा बाइपैप। एसआरएन में कोविड के इंचार्ज डॉ. मोहित जैन ने बताया कि ट्यूब वेंटिलेटर में पाइप सांस की नली डालकर वेंटिलेटर से जोड़ा जाता है। इसमें मरीज सीधा लेटा होता है। हिल नहीं सकता है। इसलिए कोरोना के मरीजों को इससे लाभ नहीं मिल रहा है। वहीं, हाईफ्लो नेजर मशीन में एक पाइप नाक में डालकर तेजी से ऑक्सीजन दी जाती है। इसके लगाने से मरीज उठने, बैठने, करवट या फिर उल्टा लेट सकता है, जो संकमितों के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए ये उपयोगी साबित हो रही है। 

इनका कहना है
डॉ. सुजीत वर्मा, नोडल कोरोना वार्ड, एसआरएन अस्पताल बताते हैं कि कोरोना के गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर से कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उनके लिए हाईफ्लो नेजल ऑक्सीजन मशीन अधिक उपयोगी साबित हो रही है। अब तक बड़ी संख्या में गंभीर संक्रमित इससे स्वस्थ हुए हैं, जबकि वेंटिलेटर से अभी तक कोई भी ठीक नहीं हुआ। इसीलिए प्रस्ताव बनाकर 15 मशीन की डिमांड की गई है। 

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