कोविड 19 : बंदियों को अवसाद से बचाने की पहल, जेल पीसीओ से कराई जा रही घरों पर बात, सोशल डिस्टेंसिंग पर पूरा ध्यान
‘बड़प्पन दु:ख देने में नहीं, दु:ख दूर करने में है।’ जेलों में दीवारों कर लिखे इस सूत्रवाक्य को इस समय चरित्रार्थ होते देखा जा सकता है। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए जेल प्रशासन की...
‘बड़प्पन दु:ख देने में नहीं, दु:ख दूर करने में है।’ जेलों में दीवारों कर लिखे इस सूत्रवाक्य को इस समय चरित्रार्थ होते देखा जा सकता है। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए जेल प्रशासन की एक खास पहल बंदियों को बड़ी राहत दे रही है।
जेलों में निरुद्ध बंदियों को अवसाद से बचाने के लिए यह पहल डीजी जेल आनंद कुमार की है। उनके निर्देश पर ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का ध्यान रखते हुए बंदियों की जेल के पीसीओ से उनके घरों पर बात कराई जा रही है। दरअसल लॉकडाउन के बाद बंदियों की उनके परिवारीजनों के साथ मुलाकात बंद है।
डीजी के निर्देश पर जेल के पीसीओ के सामने तय दूरी पर गोल घेरे बनाए गए हैं। बंदी इन्हीं गोल घेरों में बैठकर या खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। अपनी बारी आने पर बंदी अपने परिवारीजनों से पीसीओ से बात करके उनका हालचाल ले रहे हैं। प्रदेश की सभी जेलों में पीसीओ पर इस समय खासा दबाव है। मुलाकात न हो पाने से पीसीओ ही एकमात्र सहारा हैं। बंदियों को इस समय प्रचुर मात्रा में विटामिन सी मुहैया कराने वाले फल भी मुहैया कराए जा रहे हैं।