court verdict on isi spy in kanpur after 13 years fined along with 10 years imprisonment आईएसआई के जासूस पर कानपुर में 13 साल बाद आया फैसला, 10 साल कैद के साथ लगा जुर्माना, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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आईएसआई के जासूस पर कानपुर में 13 साल बाद आया फैसला, 10 साल कैद के साथ लगा जुर्माना

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के जासूस को 13 साल बाद ADJ राम अवतार प्रसाद की कोर्ट ने शनिवार को 10 साल कैद और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। वर्तमान में जासूस जमानत पर बाहर चल रहा था।

Ajay Singh प्रमुख संवाददाता , कानपुरSun, 3 March 2024 08:48 AM
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आईएसआई के जासूस पर कानपुर में 13 साल बाद आया फैसला, 10 साल कैद के साथ लगा जुर्माना

ISI spy punished: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के जासूस को 13 साल बाद एडीजे आठ राम अवतार प्रसाद की कोर्ट ने शनिवार को 10 साल कैद और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। वर्तमान में जासूस जमानत पर बाहर चल रहा था। सजा सुनाए जाते ही पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर लिया।

डीजीसी क्रिमिनल दिलीप अवस्थी और एडीजीसी अरविंद डिमरी ने बताया कि 18 सितंबर 2011 को एटीएस ने मुखबिर की सूचना पर मरे कंपनी पुल के पास एटीएम के अंदर फिरदौस नगर, मनीटोला, डोरंडा, रांची झारखंड निवासी पाकिस्तानी आईएसआई जासूस फैसल रहमान उर्फ गुड्डू को गिरफ्तार किया था। उसके पास से पाकिस्तानी सिम, कई टिकट, वोटर आईडी, हाथ से बनाया नक्शा और कई कोड वर्ड में लिखे कागज बरामद हुए थे। एटीएस ने रेलबाजार थाने में शातिर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पूछताछ में फैसल ने पुलिस का बताया कि वह गगन प्लाजा होटल में रुका था। कैंट क्षेत्र की जानकारी लेने के लिए आया था। उसके ई-मेल की जांच करने पर एटीएस और पुलिस को कई अहम जानकारी हाथ लगी थी। रेलबाजार पुलिस ने चार्जशीट भेजी थी।  28 जून 2013 को उसके खिलाफ चार्ज बना था। आरोपी के खिलाफ 11 गवाह पेश किए गए। कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के आधार पर धारा 121ए,  120 बी, 115, शासकीय गोपनीयता अधिनियम की धारा तीन और नौ में सजा सुनाई। 

खुद की पैरवी, हैंडराइटिंग मिलान से सजा 
एडीजीसी अरविंद डिमरी और पंकज त्रिपाठी ने बताया कि फैसल रहमान काफी शातिर है। इसलिए उसने मुकदमे की पैरवी खुद की। उसको किसी वकील पर विश्वास नहीं था। मुकदमे में खुद बहस करने के लिए फैसल ने कोर्ट से धारा 32 में अनुमति मांगी थी। अनुमति मिलने पर उसने बहस की। कानपुर कैंट के हाथ से बनाए गए नक्शे और उसके जेल में बंद होने के दौरान आरटीआई द्वारा सेना से मांगे गए सवालों की हैंडराइटिंग मिलान से हुई है। वह उल्टे सीधे सवाल करके सेना से आरटीआई में जवाब मांगता था। जैसे यहां पर कौन सी बटालियन है, यह कब से काम कर रही है। दोनों राइटिंग उसकी ही निकली। ये सजा का बड़ा आधार बना। 

दो पासपोर्ट, रशिया में काटा वक्त, पत्नी पाकिस्तान में लेक्चरर 
झारखंड निवासी फैसल ने दो पासपोर्ट बनवा रखे थे। एक पटना से 1980 में बनवाया था। फिर उसने रांची से फर्जी पासपोर्ट बनवा लिया था। बीए की पढ़ाई करने के बाद फैसल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए रशिया चला गया था। वहां पर वह तीन से चार साल रहा। पहले पासपोर्ट के जरिए वह अपनी मौसी पाकिस्तान कराची निवासी जाकिया मुमताज के घर गया था। फिर दिसंबर 1997 में उसका निकाह मौसी की बेटी साइमा फैसल के साथ कराची में हो गया था। फिर वह लगातार पाकिस्तान जाता रहा। उसकी पत्नी पाकिस्तान में बतौर लेक्चरर पद पर गर्वनमेंट इस्लामिया इंटर कॉलेज में पढ़ाती है। वह भारत भी आ चुकी है। 

आईएसआई आफिस में हुई ट्रेनिंग, सिकंदर को करता रिपोर्टिंग  
डीजीसी क्रिमिनल दिलीप अवस्थी ने बताया कि 2002-2003 में फैसल पाकिस्तान गया था। वहां पर वीजा बढ़वाने के लिए एफआरआरओ ऑफिस गया था। उसकी मुलाकात पाकिस्तानी आईएसआई अधिकारी अतीक से हुई। अतीक ने पाकिस्तान में निकाह और पत्नी के बिना अनुमति भारत आने पर पत्नी को जेल भिजवाने की धमकी दी। इस्लाम धर्म को खतरा बताया था। फैसल को फंसाकर 20-25 दिन 2003 में पाकिस्तान की आईएसआई के आफिस कैफी सिनेमा के पास ट्रेनिंग दिलाई गई। वहीं हिन्दुस्तान की आर्मी के बारे में बताया गया। सूचना इकट्ठा करने का तरीका और इंटरनेट की ट्रेनिंग दी गई। वर्तमान समय में वह आईएसआई अफसर मेजर सिकंदर के लिए काम कर रहा है। 

हवाला से लेता पैसा, ड्राफ्ट मोड में भेजता था सूचना 
एडीजीसी अरविंद डिमरी ने बताया कि फैसल 8-9 साल से आईएसआई जासूस के रूप में काम रहा है। इसके बदले में वह आईएसआई अधिकारियों से  12 लाख रुपये आईसीआईसीआई बैंक रांची के खाते में ले चुका है। इसके अलावा हवाला के जरिए पैसा दिल्ली और मुंबई में भी ले चुका है। फैसल ने रांची, बबीना, प्रयागराज, झांसी, कानपुर कैंट के बारे में सूचना इकट्ठा करके इंटरनेट के जरिए ड्राफ्ट मोड में गुप्त कोड के जरिए पाकिस्तान भेजी थीं।