उत्तर प्रदेश में डेढ़ महीने पहले 10 लाख की आबादी पर केवल 545 लोगों की टेस्टिंग हो रही थी। इसके बाद सरकार के निर्देश पर चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग ने टेस्टिंग लैबों की क्षमता बढ़ाई। टेस्टिंग के लिए अन्य तरीकों को अपनाया। नतीजतन, आज की तारीख में छह गुना ज्यादा 3235 लोगों की टेस्टिंग 10 लाख की आबादी पर होने लगी हैं। हालांकि, प्रदेश 10 लाख की आबादी पर टेस्टिंग के राष्ट्रीय औसत 4 हजार से अभी भी पीछे है।
फिलहाल राष्ट्रीय औसत से पीछे
अभी तक प्रतिदिन टेस्टिंग करीब 22 हजार प्रति दिन हो रही है। प्रदेश सरकार ने अगले 15 दिनों में 30 हजार प्रतिदिन टेस्टिंग का लक्ष्य निर्धारित किया है। चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग इस लक्ष्य को पूरा करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में प्रदेश में 10 लाख की आबादी पर टेस्टिंग राष्ट्रीय औसत चार हजार के पार हो जाने की उम्मीद है।
पूल टेस्टिंग भी बढ़ाई गई
अभी तक 10 लाख की आबादी पर 545 से 3235 टेस्टिंग पहुंचने की पीछे प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशें शामिल हैं। प्रदेश में टेस्टिंग लैब की संख्या 28 तक पहुंच चुकी है। इनमें 22 सरकारी और छह निजी लैब हैं। डेढ़ महीने पहले 22 सरकारी व निजी लैब थीं। इसके बाद पूल टेस्टिंग बढ़ाई गई। पांच-पांच नमूनों वाले ढाई हजार पूल प्रतिदिन बनाकर टेस्टिंग हो रही है।
पूल, ट्रूनेट व एंटीजन टेस्टिंग ने किया विस्तार
इसी तरह 10-10 नमूने के 200 तक प्रतिदिन पूल बन रहे हैं। कोविड अस्पतालों में कोरोना मरीजों के साथ ही इमरजेन्सी और सेमी इमरजेंसी में ऑपरेशन कराने आने वाले मरीजों की कोरोना जांच के लिए ट्रूनेट मशीनें सभी 75 जिलों के जिला अस्पतालों में भेजी गईं। इसी के साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग ने भी अपने सरकारी विश्वविद्यालयों चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कालेजों के लिए 42 ट्रूनेट मशीनें मंगाकर दी हैं। ये एक घंटे में ही कोरोना संक्रमण होने या न होने की रिपोर्ट दे रही हैं। अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में एंटीजेन टेस्ट भी होने लगे हैं। ये 15 मिनट में ही कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट दे रही हैं। चिंकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल कालेज में स्थापित अपनी लैबोरेट्री की क्षमता बढ़ाई है। इसका नतीजा यह हुआ कि प्रतिदिन टेस्टिंग 22 हजार के पार हो चुकी है। अब तक कुल टेस्टिंग सवा सात लाख से ऊपर पहुंच चुकी हैं।