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कोरोना का असर : 143 साल में पहली बार बंद हुए एएच व्हीलर के बुक स्टॉल

देश के 258 स्टेशनों पर एएच व्हीलर के बुक स्टॉल बंद हो गए हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में ट्रेन संचालन ठप होने के कारण 143 साल में पहली बार स्टेशनों पर एएच व्हीलर के स्टॉल भी...

कोरोना का असर : 143 साल में पहली बार बंद हुए एएच व्हीलर के बुक स्टॉल
लाल रणविजय सिंह, प्रयागराज।Wed, 25 Mar 2020 07:33 AM
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देश के 258 स्टेशनों पर एएच व्हीलर के बुक स्टॉल बंद हो गए हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में ट्रेन संचालन ठप होने के कारण 143 साल में पहली बार स्टेशनों पर एएच व्हीलर के स्टॉल भी बंद करने पड़े।

यात्रा के दौरान किसी बड़े स्टेशन पर ट्रेन खड़ी होने पर पढ़ने के शौकीन आज भी एएच व्हीलर के स्टॉल ही खोजते हैं। इंटरनेट के जमाने में किताबें खरीदकर पढ़ने के शौकीन कम हो गए लेकिन देश के बड़े स्टेशनों पर एएच व्हीलर के स्टॉल आज भी मौजूद हैं। इससे पहले कभी ट्रेनों का संचालन नहीं रुका तो स्टॉल भी खुले रहे। 22 मार्च को जनता कफ्र्यू के दिन भी पूरे देश की ट्रेन सेवा एक दिन के लिए रोकी गई थी लेकिन प्रयागराज जंक्शन समेत 258 स्टेशनों पर एएच व्हीलर के स्टॉल इसदिन भी खुले थे।

कोरोना महामारी फैलने से रोकने के लिए रेलवे ने 31 मार्च तक ट्रेन सेवा बंद करने का फैसला किया तो 1877 से अनवरत यात्रियों को किताब, उपन्यास और अखबार उपलब्ध कराने वाले एएच व्हीलर प्रबंधन ने भी स्टॉलों को बंद करने का निर्णय लिया।  एएच व्हीलर के निदेशक अमित बनर्जी ने बताया कि स्टॉल को बंद करने का फैसला आसान नहीं था लेकिन देशवासियों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए रेलवे ने ट्रेने रोक दी, ऐसे में स्टॉल खोले रखने का कोई औचित्य नहीं था।

1877 में इलाहाबाद जंक्शन से शुरू हुए थे स्टॉल
एएच व्हीलर का पहला बुक स्टॉल इलाहाबाद जंक्शन (अब प्रयागराज जंक्शन) के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर खोला गया था। फ्रांसीसी एमिली मोरयो ने पहला स्टॉल खोला था। उसके बाद देश के लगभग सभी प्रमुख स्टेशनों पर इसी नाम से स्टॉल की श्रृंखला बन गई। बर्ड एंड कंपनी के एक कर्मचारी रहे एमिली पढ़ने के शौकीन थे। एमिली इलाहाबाद जंक्शन जाते तो ट्रेनों के प्रथम श्रेणी के कोच में यात्रियों के लिए किताबों की जरूरत को महसूस करते थे। इलाहाबाद जंक्शन पर स्टॉल खोलने के लिए एमिली के मित्र व्हीलर ने बहुमूल्य पुस्तकें दी थीं। इसी वजह से स्टॉल का नाम एएच व्हीलर रखा गया जो आज भी बरकरार है।

टीके बनर्जी ने बढ़ाई लोकप्रियता
एक जमाने में एएच व्हीलर में सिर्फ अंग्रेज या एंग्लों इंडियन ही नौकरी करते थे। 1899 में टीके बनर्जी कंपनी में नौकरी करने वाले पहले भारतीय बताए जाते हैं। टीके बनर्जी ने एएच व्लीलर को नई ऊंचाई दी। टीके बनर्जी की कार्यशैली को देखते हुए उनका तबादला कंपनी के इलाहाबाद स्थित मुख्यालय में किया गया। उनके यहां आने के बाद एएच व्हीलर का विस्तार हुआ।

तीन हजार कर्मचारी हुए प्रभावित
एएच व्हीलर एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के स्टॉल बंद होने से इससे जुड़े तीन हजार लोग प्रभावित हुए हैं। ये लोग बुक स्टॉल पर कमीशन एजेंट के तौर पर काम करते हैं। किताब की बिक्री पर उन्हें निर्धारित कमीशन मिलता है।

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