बसपा प्रमुख मायावती के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में कांग्रेस, दलितों को पार्टी से जोड़ने के लिए बना मेगा प्लान
कांग्रेस ने भी दलित वोटों में सेंध लगाने का मेगा प्लान तैयार कर लिया है। कांग्रेस यूपी में पहली बार कांशी राम की पुष्य तिथि जोर-शोर से मनाने जा रही है। इस दौरान दलितों से संवाद का दौर चलेगा।

यूपी में लोकसभा चुनाव को लेकर हर दल ने अपने-अपने तरह से तैयारियां शुरू कर दी हैं। सभी की नजरें इस समय दलित वोटों पर हैं। एक तरफ भाजपा ने बस्ती संवाद कार्यक्रम से दलितों को लुभाने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ सपा पीडीए के जरिए दलितों पर डोरे डाल रही है। इसी बीच कांग्रेस ने भी दलित वोटों में सेंध लगाने का मेगा प्लान तैयार कर लिया है। कांग्रेस यूपी में पहली बार कांशी राम की पुष्य तिथि जोर-शोर से मनाने जा रही है। इस दौरान दलितों से संवाद का एक महीने तक दौर चलेगा। दलित वोट बैंक पर अभी तक बसपा का कब्जा माना जाता है। बसपा भले ही पिछले दस सालों में हर चुनाव हार रही हो लेकिन दलितों का वोट उसे ही मिलता रहा है।
कांग्रेस पहले भी पिछड़े वर्ग और दलितों के साथ ही बाबा साहेब अंबेडकर की विरासत पर दावा करती रही है। इस बार नौ अक्टूबर पर शुरू होने वाला दलित संवाद का कार्यक्रम 26 नवंबर संविधान दिवस तक चलाने की तैयारी है। इस बारे में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि बसपा विचारक की पुण्यतिथि पर दलितों के साथ संवाद शुरू किया जा रहा है। इसके जरिए कांग्रेस से दूर हो चुके दलितों को दोबारा पार्टी से जोड़ने की कोशिश है।
कांशीराम की पुण्य तिथि पर दलित गौरव संवाद कार्यक्रम शुरू करने का कांग्रेस का निर्णय लोकसभा चुनाव के नजरिए से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बसपा संस्थापक का न केवल दलितों बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ अति पिछड़ों के साथ भी गहरा जुड़ाव था।
वंचित वर्गों खासकर दलितों और पिछड़ों को लुभाने के लिए ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में संपन्न कर्नाटक विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान 'जितनी आबादी, उतना हक' का नारा दिया था। संयोग से बसपा संस्थापक ने पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए लगभग इसी तरह 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी' का नारा दिया था।
कांग्रेस के दलित गौरव संवाद कार्यक्रम के बारे में यूपीसीसी के संगठन सचिव अनिल यादव ने बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में हम लोग करीब 1 लाख दलितों के साथ संवाद करेंगे। हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 250 लोगों से संवाद होगा। इस दौरान राज्य के दलित नेताओं की बैठक, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दलित क्षेत्रों में रात्रि चौपाल (कुल 4000) के अलावा हर लोकसभा क्षेत्र में दलित एजेंडे पर चर्चा भी होगी। संभागीय स्तर पर भी 'दलित गौरव यात्रा' आयोजित की जाएगी। इस दौरान सभी जिला मुख्यालयों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की प्रेस कांफ्रेंस भी आयोजित होगी।
यूपीसीसी पिछले कुछ महीनों में विभिन्न मंडलों और जिलों में पिछड़े वर्गों के सम्मेलन आयोजित कर रही है। इसमें जल्द ही लखनऊ में एक बड़ा राज्य सम्मेलन आयोजित करने की भी तैयारी है। राहुल गांधी ने कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान शीर्ष सरकारी पदों पर दलितों, आदिवासियों और ओबीसी के प्रतिनिधित्व को लेकर केंद्र पर सवाल उठाया था।
यही नहीं राहुल गांधी ने इसी साल के शुरुआत में 24 अप्रैल को इस मामले में केंद्र सरकार को घेरते हुए पूछा था कि भारत सरकार में दलित, आदिवासी या ओबीसी से केवल सात प्रतिशत सचिव हैं। क्या भारत में इन वर्गों की जनसंख्या मात्र 7% है? अगर हमें देश में सभी को भागीदारी देनी है तो हमें यह पता लगाना होगा कि किस जाति की कितनी आबादी है। पीएम मोदी जाति जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहे हैं।
