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बांस के उत्पाद बनाने के लिए कॉमन फैसेलिटी सेंटर जल्द शुरू करने की तैयारी, घर लौट रहे प्रवासी मजूदरों को भी मिलेगा रोजगार

गोरखपुर के कैम्पियरगंज ब्लाक के लक्ष्मीपुर में बांस की खेती और उसके उत्पाद के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कॉमन फैसेलिटी सेंटर (सीएफसी) के जल्द संचालन के लिए वन विभाग ने कोशिशे शुरू कर दी हैं।...

बांस के उत्पाद बनाने के लिए कॉमन फैसेलिटी सेंटर जल्द शुरू करने की तैयारी, घर लौट रहे प्रवासी मजूदरों को भी मिलेगा रोजगार
मुख्‍य संंवाददाता ,गोरखपुर Wed, 27 May 2020 02:42 PM
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गोरखपुर के कैम्पियरगंज ब्लाक के लक्ष्मीपुर में बांस की खेती और उसके उत्पाद के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कॉमन फैसेलिटी सेंटर (सीएफसी) के जल्द संचालन के लिए वन विभाग ने कोशिशे शुरू कर दी हैं। लक्ष्मीपुर ग्राम सभा की भूमि निर्मित कृषि वानिकी केंद्र परिसर में खाली पड़ी जमीन पर कार्यशाला बनाने के लिए शेड निर्मित हो चुका है। 3.50 लाख रुपये कीमत की कुछ मशीनें जल्द पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे दौर में जब बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी हो रही है, यह प्रोजेक्ट सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को हतोत्साहित करने के साथ बांस की खेती से किसानों की आय बढ़ाने और बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों को अपने घर के निकट स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित करेगा।

लक्ष्मीपुर कृषि वानिकी केंद्र के परिसर में मिट्टी भराई कर 54 वर्ग फीट लम्बा और 40 वर्गफीट चौडा टीन शेड डाल कर वर्कशाप बन गया है। बांस के ट्रीटमेंट, कार्बोनाइजेशन और बैल्यू एडिशन प्रोसेसिंग के लिए यूनिट एवं बांस से निकलने वाले वेस्ट के लिए प्राइमरी स्तर की प्रोसेसिंग यूनिट भी निर्मित होगी। इसके लिए तकरीबन 3.50 लाख रुपये से मशीनरी के आर्डर दिए जा चुके हैं। इनमें क्रास कटर मशीन (एस टर्नर नॉट), बम्बू कासकट मशीन, एक्सर्टनल नॉट रिमुवर, वर्किंग टेबल, बम्बू ट्रीटमेंट टैंक, हार्ड टूल्स, ड्रील मशीन और एक अन्य बड़ी वर्किग टेबल मंगाई जा रही है। उम्मीद है कि यह मशीने जून के प्रथम सप्ताह तक आ जाएंगी।

केंद्र सरकार ने बांस को पेड़ की कैटेगरी से साल 2017 में हटा घास की श्रेणी में डाल दिया था। बांस की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र एवं प्रदेश सरकार 50 फीसदी तक अनुदान भी दे रही है। गोरखपुर जिले की जलवायु एवं मिट्टी भी बांस की खेती के लिए उपयुक्त है।

सीएफसी में मिलेंगी ये सुविधाएं
कॉमन फैसलिटी सेंटर की खाली पड़ी जमीन में बांस की खेती होगी।यह कॉमन फैसेलिटी सेंटर किसानों को प्रेरित व प्रशिक्षित करने, बांस से हस्तशिल्प बनाने एवं निर्मित उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार का प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराएगा। इस सेंटर में ‘लाइवली हुड बिजनेस इनक्यूबेटर’(एलबीआई) संचालित होगा। बांस से हस्तशिल्प, कुटीर उद्योग, फर्नीचर निर्माण, बांस बाजार, ग्रामीण क्षेत्रों में बांस की झोपड़ी बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए कक्ष भी निर्मित होंगे।

दिसंबर में मिली मंजूरी
केंद्र सरकार ने 3.55 करोड़ रुपये की इस योजना के लिए पिछले सप्ताह ही मंजूरी दी। भूमिहीनों, छोटे व मझोले किसानों एवं महिलाओं की आय में बढ़ोतरी के मद्देनजर सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में लक्ष्मीपुर में निर्मित कृषि वानिकी केंद्र के उपेक्षित भवन में इसके संचालन के लिए प्रस्ताव भेजा गया। इसे दिसंबर में ही मंजूरी मिल गई थी। केंद्र ने सूबे के 5 जिले गोरखपुर, मिर्जापुर, झांसी, बरेली और सहारनपुर के लिए प्रस्ताव मांगा था। सबसे पहले प्रभागीय वन अधिकारी अविनाश कुमार ने प्रस्ताव भेज, उसे स्वीकृत करा 9.50 लाख रुपये की धनराशि अवमुक्त भी करा लिया। लक्ष्मीपुर ग्राम सभा की भूमि पर 2008 में कृषि वानिकी केंद्र का निर्माण शुरू हुआ लेकिन पूरा 2012 में हुआ। तकरीबन एक हेक्टेयर क्षेत्र में निर्मित इस भवन का कोई इस्तेमाल नहीं हुआ। गोरखपुर सोनौली मार्ग से सिर्फ 6 किमी दूर लिंक मार्ग पर स्थित इस भवन का अब सीएफसी के रूप में इस्तेमाल होगा।

‘‘भूमिहीनों, छोटे, मझौले किसानों एवं महिलाओं एवं प्रवासी मजदूरों को आजीविका के नए अवसर मिलेंगे। यह प्रोजेक्ट न केवल किसानों की आय बढ़ाने के लिए विकल्प बनेगा जलवायु को सुदृढ़ बनाने और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा। जून-जुलाई तक इसे शुरू करने की योजना बना रहे हैं।’’
अविनाश कुमार, डीएफओ गोरखपुर

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