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Hindi News उत्तर प्रदेशविधानसभा में पहली बार दिखा सीएम योगी का ये अंदाज, बोले-मुझे श्‍लोक आते हैं, शायरी नहीं लेकिन...

विधानसभा में पहली बार दिखा सीएम योगी का ये अंदाज, बोले-मुझे श्‍लोक आते हैं, शायरी नहीं लेकिन...

उत्‍तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष के हंगामे पर सीएम योगी काफी अक्रामक नज़र आए। अपने सम्‍बोधन के दौरान उन्‍होंने विपक्ष पर हमले का एक भी मौका नहीं छोड़ा।...

विधानसभा में पहली बार दिखा सीएम योगी का ये अंदाज, बोले-मुझे श्‍लोक आते हैं, शायरी नहीं लेकिन...
हिन्‍दुस्‍तान टीम,लखनऊ Sat, 22 Aug 2020 04:07 PM
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उत्‍तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष के हंगामे पर सीएम योगी काफी अक्रामक नज़र आए। अपने सम्‍बोधन के दौरान उन्‍होंने विपक्ष पर हमले का एक भी मौका नहीं छोड़ा। उन्‍होंने यह कहते हुए कि 'मुझे श्‍लोक आते हैं, शायरी नहीं...', विधानसभा में पहली बार एक शेर भी पढ़ा। सीएम ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला। कहा कि कांग्रेस और सपा एक-एक 'खान' को बचाने की मुहिम चला रही हैं। 

गौरतलब है कि शनिवार को सपा और कांग्रेस के सदस्यों ने गले में तख्ती लटकाकर क्रमश: आजम खान और डॉक्टर कफील खान की रिहाई की मांग की। कांग्रेस ने कफील तो सपा ने आजम को रिहा करने की मांग की। इस पर चुटकी लेते हुए मुख्‍यमंत्री ने कहा कि ये वे 'खान' हैं जिन्‍होंने कानून को ठेंगा दिखाया। मुख्‍यमंत्री ने विधानसभा में कांग्रेस और सपा के हंगामे पर भी निशाना साधा। कहा कि सदन में प्रवेश के समय विपक्षी दल के एक सदस्‍य को गले में तख्‍ती लटकाए देख उन्‍हें मेरठ में गले में तख्‍ती लगाकर जान बख्‍शने की फरियाद कर रहे एक अपराधी का ख्‍याल आ गया। उन्‍होंने कहा जनता, अपराधियों के पक्ष में खड़े नज़र आने वालों को सबक सिखाएगी।  

कांग्रेस पर खासतौर पर हमलावर दिख रहे मुख्‍यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के नेता तो ऐसे व्‍यक्ति की रिहाई की मांग कर रहे हैं जिसके लिए बाहर से भी धमकी भरे फोन आ रहे हैं। धमकी दी जाती है कि रिहा नहीं किया तो ये कर देंगे। लेकिन उन्‍हें बता दिया गया है कि ये उत्‍तर प्रदेश है। यहां कुछ करने से पहले दूसरे लोक की यात्रा करनी पड़ती है। दूसरे लोक की यात्रा करनी हो तो ही धमकी दो। सरकार किसी की धमकी से नहीं डरने वाली। यहां सुरक्षा एजेंसियां कुछ करने वालों को छोड़ेंगी नहीं। कांग्रेस-सपा पर तंज कसते हुए सीएम योगी ने पहली बार एक शेर भी पढ़ा। उन्‍होंने कहा कि वह श्‍लोक जानते हैं, शायरी नहीं। लेकिन आज इतना जरूर कहेंगे कि-'चमन को सींचने में कुछ पत्तियां झड़ गई होंगी, यहीं इल्‍जाम लग रहा है,हम पर बेवफाई का। चमन को रौंद डाला, जिन्‍होंने अपने पैरों से, वही दावा कर रहे हैं, इस चमन की रहनुमाई का।।'

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