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चिन्मयानंद केस : जेल में छात्रा से एसआईटी ने पूछा बताओ कहां है चश्मा  

चश्मे के बारे में पूछताछ करने के लिए रविवार को एसआईटी अफसर जिला जेल पहुंचे। अंदर उन्होंने छात्रा से बातचीत की। पूछा, चश्मा कहां है, बता दो। सूत्रों के अनुसार, छात्रा ने ऐसी कोई जानकारी एसआईटी अफसरों...

चिन्मयानंद केस : जेल में छात्रा से एसआईटी ने पूछा बताओ कहां है चश्मा  
हिन्दुस्तान संवाद, शाहजहांपुर।Mon, 04 Nov 2019 08:05 AM
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चश्मे के बारे में पूछताछ करने के लिए रविवार को एसआईटी अफसर जिला जेल पहुंचे। अंदर उन्होंने छात्रा से बातचीत की। पूछा, चश्मा कहां है, बता दो। सूत्रों के अनुसार, छात्रा ने ऐसी कोई जानकारी एसआईटी अफसरों को नहीं दी, जिससे कि एसआईटी की मुश्किलें कुछ कम हो सकें। साथ ही ऐसा कोई सुराग भी नहीं मिला जो एसआईटी को चश्मे तक पहुंचा दे।

शनिवार को नाले से बैग मिलने के बाद यह तो तय हो गया है कि चश्मे के बारे में अगर किसी को पता है तो वह छात्रा ही है। क्योंकि छात्रा ने जेल जाने से पहले मीडिया से कहा था कि उसके हॉस्टल के कमरे में महत्वपूर्ण सबूत रखे हैं। उसमें उसने चश्मा, पेन ड्राइव और हैंडबैग बताया था। जब कमरा खोला गया था, तब उसमें यह तीनों ही चीजें नहीं मिलीं थीं। उस वक्त यह आशंका जताई गई कि सील होने से पहले ही कमरा खोल कर यह सब सामान गायब कर दिया गया। पर शनिवार को जब चश्मे की तलाश करते हुए एसआईटी संजय की मामी कुंतीदेवी के घर पहुंची तो वहां बक्सा मिला। मामी ने एसआईटी को बताया कि उसने काफी सामान नाले में फेंक दिया था। एसआईटी ने नाले की सफाई कराई तो उसमें वह हैंडबैग भी मिल गया, जो छात्रा हॉस्टल के कमरे में रखने की बात कह रही थी। इससे तो साफ हो गया कि छात्रा ने उस वक्त झूठ बोला था कि उसका बैग, चश्मा, पेन ड्राइव हॉस्टल के कमरे में रखा है।

जब छात्रा 11 अगस्त से पहले अपने कमरे का काफी सामान हॉस्टल से निकाल ले गई और संजय की मामी के घर पर रख दिया तो वह अपने हॉस्टल के कमरे में सबसे महत्वपूर्ण चश्मा क्यों छोड़ देगी। यह एक सवाल है। अगर चश्मा मिल जाता है तो छात्रा पर 67 ए आईटी एक्ट पुख्ता होगा, अगर चश्मा नहीं मिला तो 67 ए आईटी एक्ट मुकदमे से हटाया जा सकता है।

चूंकि एसआईटी के पास यह भी सबूत नहीं है कि छात्रा ने अपने बैंक अकाउंट से ऑन लाइन रुपया पेमेंट करके चश्मा मंगवाया। संजय ने जरूर कहा था कि चश्मा छात्रा ने नहीं, उसने ऑनलाइन मंगवाया था। यह चश्मा 29 मार्च को आया था, जिसकी डिलीवरी उसने एसएस कालेज गेट पर ली थी। इस तरह से यह तो सबूत है कि चश्मा संजय ने मंगवाया, लेकिन छात्रा ने चश्मा मंगवाया, यह कहीं साबित नहीं होता है, ऐसा सूत्र बताते हैं। पर रिकार्डिंग करने की बात छात्रा ने अपने 164 के बयान में स्वीकार की है, इस तरह से तो वह लिप्त मानी जा सकती है। पर चश्मा तो कहीं न कहीं होगा। जिसके बारे में केवल और केवल छात्रा ही जानती है, ऐसा सूत्र बताते हैं। इसीलिए एसआईटी रविवार को छात्रा से पूछताछ करने के लिए जेल गई थी। अब एसआईटी को पूछताछ में कितनी सफलता मिली है, इसकी पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है।

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