छठः डूबते सूर्य को अर्घ्य देने उमड़ा सैलाब, जानिए यूपी के शहरों में सूर्योदय का टाइम
छठ पर यूपी में आस्था का ज्वार दिखाई दिया। डूबते सूर्य को अर्ध्य देने सैलाब उमड़ पड़ा। आस्थावानों को अब सुबह का इंतजार है। जानिए सोमवार को यूपी के किस जिले में कितने बजे सूर्योदय होगा।

लोकपर्व डाला छठ पर लाखों आस्थावानों ने रविवार की शाम अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दूध और जल का अर्घ्य दिया। पूर्वांचल के जिलों खासकर वाराणसी में आस्था के ज्वार के आगे घाटों पर जगह कम पड़ गई। रविवार शाम बहुत से लोग जल में खड़े होकर अर्घ्य नहीं दे सके तो गंगा का किनारा उनका सहारा बना। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी रविवार शाम लखनऊ में लक्ष्मण मेला मैदान पहुंचे। जहां वह भोजपुरी समाज के साथ छठ पूजा में शामिल हुए। डूबते सूर्य को अर्ध्य भी दिया। अब लोगों को सुबह यानी सूर्योदय का इंतजार है। यूपी में सबसे पहले पूर्वांचल के जिलों में भी सूर्योदय होगा। इसके बाद अवध और पश्चिमी यूपी के जिलों में सूर्योदय होगा।
विभिन्न प्रकार के पकवानों और फलों से सजे सूप के आगे से अर्घ्य देकर व्रतियों ने भगवान सूर्य से अपनी बहन छठी देवी को प्रसन्न करने का अनुरोध किया। लोक धारणा है कि भाई को प्रसन्न देख बहन स्वत: प्रसन्न हो जाएगी। इसी कारण इस एकमात्र लोकपर्व में बेटियों के सुमंगल के लिए व्रत रखा जाता है। हजारों माताओं ने बेटियों के सफल जीवन की मनौती के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। जिनकी मनौती पूरी हो गई थी, वे गाजाबाजा के साथ दंडवत करते घाट तक पहुंचे।
कहां कितने बजे सूर्योदय
गोरखपुर 6.19
लखनऊ 6.29
कानपुर 6.31
वाराणसी 6.18
प्रयागराज 6.23
गोरखपुर 6.19
मुरादाबाद 6.41
अलीगढ़ 6.42
आगरा 6.41
मेरठ 6.46
सहारनपुर 6.48
बरेली 6.38
आजमगढ़ 6.19
सोनभद्र 6.17
बलिया 6.14
गाजीपुर 6.16
मऊ 6.17
जौनपुर 6.20
भदोही 6.20
चंदौली 6.17
मिर्जापुर 6.20
सभी ने संभाली अपनी जिम्मेदारी
व्रती परिवार के पुरुष सदस्यों ने अपनी जिम्मेदारियां बखूबी संभालीं। घाट पर जाते वक्त परिवार के पुरुष सदस्यों ने डाला उठा रखा था तो युवकों के कंधे पर पत्तीयुक्त लंबी-लंबी ईखें और हाथ में पूजन सामग्री से भरे झोले थे। व्रतियों के इर्द-गिर्द चल रहीं परिवार की अन्य महिलाएं और युवतियां मंगल गीत गा रही थीं। लौटते वक्त व्रती महिलाओं ने कलश पर जलता हुआ दीपक हाथ में ले रखा था। भीड़ के धक्के से बचाने के लिए परिवार के सदस्य उस दीपक के चारो ओर घेरा बना कर चल रहे थे।
प्रमुख घाटों पर व्रतियों का सैलाब
अस्सी से राजघाट के बीच सभी प्रमुख घाटों पर व्रतियों का सैलाब था। संध्या बेला में पूरी काशी छठमय दिखाई पड़ी। अस्सी से तुलसी घाट, हनुमान घाट से मानसरोवर पांडेय घाट, दरभंगा घाट से लेकर मीरघाट, सिंधिया घाट से गायघाट और भैसासुर तक सिर्फ लोग ही लोग नजर आ रहे थे।
जगाई शाकाहार की अलख
प्रकृति और पर्यावरण के प्रेम का संदेश देने वाले डाला छठ पर कुछ जिम्मेदार नागरिकों ने समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाया। 35 स्वयंसेवकों वाले अनाम संगठन के चार सदस्यों ने अस्सी घाट पर शाकाहार की अलख जगाई। इन युवाओं ने जीव हत्या के प्रति लोगों को पोस्टरों के माध्यम से आगाह किया। गोवंश रक्षा की गुहार लगाई। दल का नेतृत्व चंदौली के करुणेश पांडेय कर रहे थे। अन्य सदस्यों में आईआईटी बीएचयू में बायोकेमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे कैलाश पांडेय, निजी कंपनी में कार्यरत नाटी इमली की श्रुति, लक्सा क्षेत्र के मसाला कारोबारी यश अरोड़ा थे।
‘पर्व से प्यार’ थीम पर फोटोग्राफी
अस्सी से रविदास घाट के बीच ज्यादातर लोग जब अर्घ्य देने की तैयारी में थे, उसी समय बीएचयू के दृश्य कला संकाय के छात्र-छात्राओं का एक समूह अपने फोटोग्राफी प्रोजेक्ट में व्यस्त नजर आया। उन्होंने फोटोग्राफी के लिए ‘पर्व से प्यार’ थीम तय की थी। दल के हर सदस्य एक-एक व्रती परिवार के साथ हो लिए। उन परिवारों की पूजन प्रक्रिया को वे कैमरों में कैद करते गए। दल के सदस्य आशुतोष ने बताया कि साथियों संग वह दोपहर दो बजे से घाट पर फोटो बना रहे थे।
