नेता जनता चुनती है, बंद कमरे में फैसले से लीडर नहीं बनते; मायावती के आकाश पर चंद्रशेखर आजाद का हमला
मायावती द्वारा भतीजे आकाश आनंद को बसपा का उत्तराधिकारी घोषित करने पर आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि नेता को जनता वोट से चुनती है, बंद कमरे में फैसले से कोई लीडर नहीं बनता है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के कैंडिडेट के दो सीट पर दूसरे नंबर पर आ जाने से उत्साहित भीम आर्मी के चीफ और आसपा अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने दावा किया है कि उनकी पार्टी को मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से ज्यादा वोट मिलना ये बताता है कि दलित समाज की लहर किस ओर बह रही है। चंद्रशेखर ने मायावती द्वारा अपने भतीजे आकाश आनंद को बीएसपी में अपना उत्तराधिकारी घोषित करने पर तंज कसते हुए आजाद ने कहा है कि नेता जनता वोट देकर चुनती है, ना कि बंद कमरे में घोषणा से कोई नेता बन जाता है।
चंद्रशेखर आजाद ने यूपी की नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा भी की है। परिसीमन से पहले इस सीट के ज्यादातर हिस्से बिजनौर लोकसभा सीट के अंदर थे जिस सीट से मायावती भी एक बार सांसद रह चुकी हैं। आजाद ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी जिस मकसद से बनाई गई थी, मायावती ने उसे उस रास्ते से भटका दिया है। उन्होंने कहा कि कांशीराम ने बसपा को निःस्वार्थ राजनीति और दबे-कुचलों की सेवा के लिए खड़ा किया था, ना कि परिवार के लिए। ये उनके अंदर का मामला है लेकिन मायावती ने पहले कहा था कि वो बसपा संस्थापक कांशीराम की तरह अपने परिवार को राजनीति से दूर रखेंगी। उनके भतीजे को वो लोग स्वीकार नहीं करेंगे जिनके लिए बसपा बनाई गई थी।
आजाद ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता वोट की ताकत से नेता बनाती है। बीएसपी लगातार पीछे जा रही है और उत्तराधिकारी घोषित करने जैसी तानाशाही रवैए से ये और बढ़ेगा। आजाद ने 2014 में भीम आर्मी बनाई थी जिससे वो चर्चा में आए। 2020 में उन्होंने आजाद समाज पार्टी बनाई लेकिन उन्हें अब तक कोई चुनावी सफलता नहीं मिली है। दलितों के एक वर्ग में लोकप्रिय आजाद की विधानसभा चुनाव के दौरान सपा से बात बनते-बनते रह गई थी। आजाद ने इंडिया गठबंधन की मीटिंग के बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से भी मुलाकात की है जो विपक्षी गठबंधन में शामिल हैं। गठबंधन के सवाल पर आजाद ने कहा है कि उस पर सही समय पर फैसला किया जाएगा।
यूपी में 21 परसेंट दलित आबादी है। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के अंदर अखिलेश यादव की सपा सूरत में मायावती की बसपा को साथ लेने के खिलाफ है। दिल्ली में 19 दिसंबर को गठबंधन की बैठक में अखिलेश ने कांग्रेस से सीधा सवाल पूछ लिया कि वो सपा और बसपा दोनों नाव पर सवारी की तैयारी में है तो साफ कर दे। इस पर कांग्रेस को स्पष्ट करना पड़ा कि कांग्रेस सपा के नेतृत्व में ही यूपी का लोकसभा चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के अंदर कई नेता चाहते हैं कि गठबंधन में बसपा को भी लाया जाए जिससे दलित वोटों का बंटवारा ना हो। चंद्रशेखर आजाद उभरते दलित नेता हैं और शरद पवार से उनकी मुलाकात को गठबंधन में मायावती के विकल्प की तलाश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
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