यूपी में आईएएस अफसरों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रोकी गई, जानिए वजह
उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ आईएएस अफसरों की कमी के कारण केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए अनुमति देने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है। जरूरी होने पर ही ऐसा हो सकेगा।
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प्रदेश में वरिष्ठ आईएएस अफसरों की कमी होने की वजह से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए अनुमति देने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है। बहुत जरूरी होने पर ही अब अनुमति दी जाएगी। उच्च स्तर पर इसको लेकर सहमति बन गई है। हालांकि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का जो कोटा है वह 40 फीसदी है।
प्रदेश में आईएएस अफसरों के कुल स्वीकृत पद 353 हैं। इनमें 40 फीसदी तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अफसरों को भेजा जा सकता है। यह संख्या करीब 141 होती है। प्रदेश के मौजूदा समय 31 आईएएस अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, लेकिन ये सभी वरिष्ठ हैं। इसके चलते अपर मुख्य सचिव स्तर के अफसरों के पास दो से तीन विभागों का काम है। कुछ प्रमुख सचिवों को भी अतिरिक्त प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है।
कुछ अफसरों ने पिछले दिनों प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया। सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तर पर सहमति बनी है कि बहुत जरूरी होने पर ही अनुमति दी जाए। इसके अलावा जिन अफसरों की प्रतिनियुक्ति समाप्त हो रही है, उन्हें वापस बुला लिया जाए। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए कुछ वरिष्ठ अफसरों को यूपी वापस बुलाया जा रहा है। इसकी खास वजह जनवरी और फरवरी में यूपी के कई वरिष्ठ अफसर सेवानिवृत्त होना बताया जा रहा है। इसके बाद वरिष्ठ अफसरों की और कमी हो जाएगी। इसीलिए फिलहाल अनुमति न देने पर सहमति बनी है। प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन मुकेश मेश्राम को केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर तैनाती मिली थी, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया गया। इतना नहीं ही उनकी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति समाप्त करने का पत्र भेजा गया।