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सीसीटीवी कैमरों से हो रही रबर फैक्ट्री में केन टाइगर की निगरानी

रबर फैक्ट्री परिसर में टाइगर की चहलकदमी को देखते वन मंत्रालय भी पल-पल रिपोर्ट टीमों से ले रहा है। आदेश दिए हैं कि इस बार पहले की तरह लापरवाही नहीं की जाएगी। दो दिन के अंदर ही टाइगर को ट्रैकुलाइज करके...

सीसीटीवी कैमरों से हो रही रबर फैक्ट्री में केन टाइगर की निगरानी
बरेली। कार्यालय संवाददाताThu, 19 Mar 2020 02:56 PM
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रबर फैक्ट्री परिसर में टाइगर की चहलकदमी को देखते वन मंत्रालय भी पल-पल रिपोर्ट टीमों से ले रहा है। आदेश दिए हैं कि इस बार पहले की तरह लापरवाही नहीं की जाएगी। दो दिन के अंदर ही टाइगर को ट्रैकुलाइज करके वहां से जंगल ले जाया जाएगा। संभवता, यह टाइगर केन टाइगर है। जो पीलीभीत के पूरनपुर इलाके में गन्नों के खेतों में रहते हैं।

वन मंत्रालय ने सख्त आदेश दिए है कि मई 2018 में जो बाघ रबड़ फैक्ट्री से पकड़ा गया था। उसमें काफी दिन लगे थे। फरवरी से मई तक की पुष्टि करने में लगे। इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए। दो दिन के अंदर-अंदर बाघ के ठिकाने का सही पता करके उसे ट्रैकुलाइज करें। अधिकारियों का कहना है, रबर फैक्ट्री में जो बाघ है, वह संभवता केन टाइगर है। क्योंकि, गन्ने की कटाई हो चुकी है। टाइगर पीलीभीत में पूरनपुर के इलाके से आया है।

अब तो उसकी स्पष्ट तस्वीर मिलने के बाद ही पता चलेगा केन टाइगर ही है। या टाइगर रिजर्व से आया है। बुधवार को डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, डब्ल्यूआईटी, टाइगर रिजर्व, कानपुर वन्य प्राणी उद्यान आदि जगह के टाइगर वैज्ञानिक बरेली पहुंच गए। टीमों ने रबर फैक्ट्री एरिया को देखा। देर रात लखनऊ से बाघ को ट्रैकुलाइज करने वाले विशेष भी आ गए। रबर फैक्ट्री में दो पिंजरा लगाए गए हैं।

टाइगर की तस्वीर अलग-अलग कैमरे में कैद करने को 14 कैमरे लगाए गए हैं। कुल 32 कैमरे लगेंगे। पहले पांच कैमरे लगाए गए थे। जिसमें एक कैमरे में क्लोज तस्वीर टाइगर की कैद हुई। सिर्फ चेहरा ही आया है। कैमरा के प्लैश से चमक अधिक आई है। मंगलवार को भी तीन कैमरों में बाघ की तस्वीर कैद हुई है।  डीएफओ भारत लाल का कहना है, बाघ को ट्रैकुलाइज करने को टीम आ गई है। बाघ के उस स्थान का पता लगाया जा रहा है। जहां अधिक समय रहता है। सही जगह का पता चलते ही ट्रैकुलाइज किया जाएगा।

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कहीं पहले वाला बाघ का साथी तो नहीं

फतेहगंज पश्चिमी के आसपास गांवों और वन अधिकारियों में इस बात की चर्चा है। यहां बाघ पहले पकड़े गए बाघ का कहीं साथी तो नहीं है। वर्तमान में रबड़ फैक्ट्री परिसर में जो बाघ है। वह मादा है। पहले जो पकड़ा गया था। वह नर बाघ था। जो कानपुर के जू में है। क्योंकि, रबर फैक्ट्री के आसपास गांवों में रहने वाले कई लोगों ने सूचना दी थी। छह-सात महीने पहले किसी ने बाघ को खेतों में देखा था। जिसकी सूचना वन अधिकारियों को दी थी। कहीं ऐसा तो वहीं जो बाघ कानपुर जू है। उसका ही जोड़ा साथी यहां अभी भी रह रहा है।

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