Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़case will be filed against 219 madrassa operators for fraudulently obtaining recognition in azamgarh

आजमगढ़ के 219 मदरसा संचालकों पर दर्ज होगा मुकदमा, फर्जीवाड़ा कर मान्यता लेने और सरकारी धन गबन करने का है आरोप

आजमगढ़ में फर्जीवाड़ा कर मानकविहीन 219 मदरसों के संचालन करने और शासकीय धन के गबन मामले में सभी संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा।SIT ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को दर्ज करने का निर्देश दिया है।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, आजमगढ़Tue, 14 March 2023 08:28 PM
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आजमगढ़ के 219 मदरसा संचालकों पर दर्ज होगा मुकदमा, फर्जीवाड़ा कर मान्यता लेने और सरकारी धन गबन करने का है आरोप

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में फर्जीवाड़ा कर मानकविहीन 219 मदरसों के संचालन करने और शासकीय धन के गबन मामले में सभी संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। एसआईटी ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को जिले के आरोपी मदरसा संचालकों पर एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है। बता दें कि एक दिन पहले ही एसआईटी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तत्कालीन रजिस्ट्रार समेत सात अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज कराया था। 

शासन ने सितंबर साल 2017 में मदरसा पोर्टल व्यवस्था लागू की थी। जिसमें सभी मदरसा संचालकों को इस पोर्टल पर अपने भूमि-भवन से संबंधित मानकों की सूचना दर्ज करनी थी। सूचना अपलोड करने के बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों ने जिले में संचालित हो रहे मदरसों का सत्यापन किया। इस दौरान 313 मदरसे मानकविहीन चिह्नित किए गए। मामला संज्ञान में आने के बाद साल 2018 में तत्कालीन डीएम ने इन मदरसों को मान्यता और मानदेय देने के आरोपी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आरोप पत्र शासन के पास भेजा था। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए साल 2020 में शासन ने फर्जी मदरसों की जांच की जिम्मेदारी एसआइटी को सौंप दी। 

एसआइटी ने जांच पूरी करने के बाद दिसंबर 2022 में शासन को रिपोर्ट सौंपी। जिसमें 219 मदरसे सिर्फ कागज पर चल रहे थे। वहीं 39 मदरसे ऐसे हैं जिन्होंने फर्जीवाड़ा के जरिए शासन की आधुनिकीकरण योजना का भी लाभ ले लिया। फर्जीवाड़ा कर मान्यता हासिल करने के बाद शिक्षकों की तैनाती कर शासन से मानदेय लिया गया। रिपोर्ट मिलने के बाद प्रमुख सचिव गृह ने इस मामले में एसआइटी को दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे। एसआइटी के रिपोर्ट दर्ज करने के बाद विभाग में हड़कंप मचा है। उधर, शासन ने इस मामले में फर्जीवाड़ा करने के आरोपी सभी 219 मदरसा संचालकों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही फर्जी तरीके से मानदेय लेने के आरोपी शिक्षकों के खिलाफ भी केस दर्ज कराया जाएगा। 

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वर्षा ने बताया कि शासन से फर्जीवाड़ा करने के आरोपी सभी मदरसा संचालकों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। सूची तैयार कराई जा रही है। एक-दो दिन के भीतर संबंधित थानों में आरोपी मदरसा संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। मानदेन लेने के आरोपी शिक्षकों पर भी केस दर्ज कराया जाएगा। 

एक आरोपी अफसर का निधन, तीन कर्मचारी सेवानिवृत्त 

फर्जीवाड़ा कर मदरसों को मान्यता देने के मामले में आरोपी अकील अहमद का निधन हो चुका है। वह आजमगढ़ में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रह चुके हैं। एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट फर्जी तरीके से मदरसों को मान्यता देने में इन्हें भी आरोपी बनाया है। इनके खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है। इसके अलावा फर्जी मदरसों को मान्यता देने केबनाए गए आरोपी लिपिक सरफराज, वक्फ निरीक्षक मुन्नर राम, लिपिक वक्फ ओमप्रकाश पांडेय सेवानिवृत्त हो चुके हैं। 

फर्जी तरीके से मानकविहीन मदरसों को मान्यता देने के मामले में एसआइटी ने आजमगढ़ में तैनात रहे जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालमन और प्रभात कुमार को भी आरोपी बनाया है। दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। प्रभात कुमार वर्तमान में गाजीपुर और लालमन कुशीनगर में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात हैं। 

39 मदरसों में शिक्षकों को दिए गए मानदेय 

एसआइटी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, जिले के 39 मदरसों को अफसरों और कर्मचारियों को मिलीभगत से फर्जी तरीके से आधुनिकीकरण योजना का लाभ दिया गया। इन मदरसों में कम से कम तीन शिक्षकों की मानदेय पर तैनाती दिखाई गई। एमए-बीएड अध्यापक के नाम पर पंद्रह हजार रुपये जबकि स्नातक शिक्षकों के नाम पर आठ हजार रुपये प्रतिमाह का भुगतान लिया गया। 

जांच के दौरान नहीं उपलब्ध कराए गए दस्तावेज
 
एसआईटी ने जांच रिपोर्ट में तत्कालीन अफसरों और कर्मचारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इन पर धोखाधड़ी, सरकारी धन गबन, आपराधिक साजिश रचने, सबूत नष्ट करने समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। एसआइटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि मदरसों को मान्यता देने में तत्कालीन अफसरों और कर्मचारियों ने न सिर्फ घोर लापरवाही बरती, बल्कि जांच के दौरान मदरसों को दिए गए मानदेय का पूरा विवरण भी नहीं उपलब्ध कराया गया।

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