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हड़ताल पर बुंदेले किसान, बंद कर दी  दूध-सब्जी और अनाज की सप्लाई- VIDEO

कई सालों से प्राकृतिक आपदा झेल रहे बुंदेले किसानों ने मंगलवार को क्रांति का बिगुल फूंक दिया। अगले पांच दिनों के लिए किसानों ने दूध, सब्जी, अनाज आदि बाजार में सप्लाई बंद कर हड़ताल का ऐलान कर...

हड़ताल पर बुंदेले किसान
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किसानों के साथ आंदोलन की रूपरेखा तैयार करते प्रो. योगेन्द्र यादव और डॉ. सुनीलम
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बांदा। शेखर द्विवेदी,कानपुरTue, 27 Mar 2018 02:04 PM
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कई सालों से प्राकृतिक आपदा झेल रहे बुंदेले किसानों ने मंगलवार को क्रांति का बिगुल फूंक दिया। अगले पांच दिनों के लिए किसानों ने दूध, सब्जी, अनाज आदि बाजार में सप्लाई बंद कर हड़ताल का ऐलान कर दिया। किसानों ने तय किया है कि वह न तो कचहरी, न बैंक  और तहसीलों में खुद के काम के लिए जाएंगे। आंदोलन की अगुवाई करने वाली बुंदेलखंड किसान यूनियन व किसान सभा का कहना है कि सरकारी कर्मचारी हड़ताल कर मांगे पूरी करवा लेते हैं इसलिए अब किसान भी हड़ताल पर हैं। किसानों को मुफ्त बिजली पानी के साथ अपनी फसल के मूल्य निर्धारण का अधिकार मिलना चाहिए। किसानों को बल देने के लिए स्वराज इंडिया के संयोजक प्रो. योगेन्द्र अखिल भारतीय किसान समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनीलम भी बांदा पहुंच गए हैं।

 पिछले 20 दिनों से बुंदेलखंड किसान यूनियन का धरना बांदा में चल रहा है। इसी दौरान किसान संघ ने किसान हड़ताल का ऐलान किया जिसके समर्थन में सभी किसान संगठन आ गए हैं। किसानों के कई आंदोलन हुए पर सरकारों ने किसान समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है। अब बांदा की धरती में सभी किसान संगठनों ने एकजुट होकर तय किया है कि अगले पांच दिनों तक गांव से किसान दैनिक जरूरत का सामान दूध, फल, सब्जी, अनाज बाहर नहीं भेजेंगे। किसान को उत्पादन की लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना चाहिए। किसान को अपनी उपज का मूल्य तय करने का अधिकार नहीं है जबकि बाजार में हर चीज के दाम की कीमत तय करने का अधिकार कंपनी व कारोबारी को है। किसानों का कहन है कि नुकसान झेल कर फसल उगाने वाले किसानों के बिजली-पानी के बिल माफ होने चाहिए। दिनों दिन उत्पादन घट रहा है, लागत तक नहीं निकल पा रही है। बुंदेलखंड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा व किसान संघ के संयोजक रामचंन्द सरस के अनुसार जिले की सीमा से सटे गांव गंछा, दुरेड़ी, त्रिवेणी आदि गांवों में किसानों ने हड़ताल का समर्थन किया है। 

बड़ोखर से दूध की एक बूंद नहीं पहुंची शहर

हड़ताल में बांदा का बड़ोखर गांव सबसे सक्रिय भूमिका निभा रहा है। मंगलवार को यहां एक बूंद दूध और सब्जी बाजार नहीं गयी। कोई किसान अपने किसी काम के लिए गांव से शहर के लिए नहीं निकला। यहां के प्रगतिशील किसान पेरम सिंह की बगिया में किसानों ने डेरा डाल लिया है। यहीं पर प्रो. योगेन्द्र यादव और डॉ. सुशीलम भी पहुंचे और किसानों का साथ देने का ऐलान किया। 

फैल रही चिनगारी

बड़ोखर के सौ फीसदी किसानों ने पूरी हड़ताल की है तो आसपास गावों में में भी हड़ताल का आंशिक असर देखने को मिला। कई गावों के किसान बड़ोखर पहुंचे और घोषणा की कि अगले दिनों में वह भी अपने गावों के सभी किसानों को हड़ताल के लिए तैयार करेंगे। यह चिनगारी बुंदेलखण्ड में धीरे-धीरे फैल रही है, आने वाले समय में किसानों का बड़ा आंदोलन बन सकता है।

महाराष्ट्र एक गांव कर चुका ऐसी हड़ताल

प्रो योगेन्द्र यादव और डॉ. सुशीलम ने किसानों को बताया कि महाराष्ट्र का एक गांव भी पहले ऐसी हड़ताल कर चुका। इस गांव ने देश ही नहीं पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था जिसके बाद यहां के किसानों को काफी कुछ मिल गया।

सरकारों को मजबूर होना पड़ेगा

किसान हड़ताल को लेकर जागरूक किसानों में भी उत्सुकता है। गांव त्रिवेणी के किसान जगदीश चतुर्वेदी कहते है कि पहले किसान साल में चार छह महीने में सिर्फ नमक, कैरोसिन तेल और कपड़े आदि के लिए ही गांव से बाजार करने जाता था। अपनी जरूरतों की हर चीज का प्रबंध उसने गांव में कर रखा था। पांच दिनों की सांकेतिक हड़ताल से किसान एकदम परेशान नहीं होगा। उऩ्होंने कहा कि यह तो किसानों की क्रांती का आगाज है। आने वाले समय में जैसे किसान जागरूक होगा और प्रभावी हड़ताल होगी तो उनकी सामस्या हल करने के लिए सरकारों को होना पड़ेगा।

हड़ताल सफल हुई तो चाय के लाले पड़ेंगे

जिले में शहरी इलाकों किसानों की हड़ताल अगर प्रभावी हो गई तो अगले पांच दिनों में शहरी क्षेत्रों में दूध का संकट खड़ा हो जाएगा। आलम यह होगा कि लोग चाय के लिए तरस जाएंगे। दूध की पूरी आवक गांव पर किसानों पर निर्भर है। डेयरी संचालक भी किसानी से जुड़े है। 

यह है बांदा की स्थिति

जिले में किसानों के यहा5 हजार लीटर दूध रोजाना होता है जिसकी आपूर्ति शहरी इलाकों में होती है

गोवंश व दुधारू मवेशियों की संख्या 695600 है।

 सरकारी कामधेनु डेयरी में दुग्ध उत्पादन प्रतिदिन 765 लीटर

रबी फसल में पिछले साल 561.769 हजार मैट्रिक टन अनाज का उत्पादन है

सीमांत 211790, लघु 72912 व सामान्य किसान 75179 है।


20 दिनों से आंदोलनकारी किसानों की ये भी हैं मांगे 

बुंदेलखण्ड क्षेत्र में लघु सीमांत का दायरा बढ़ाया जाए, कम से कम 5 हेक्टेअर किया जाए। 

बुंदेलखण्ड क्षेत्र में किसानों का सम्पूर्ण कृषि ऋण माफ किया जाए।

वर्ष 2018 में ओलावृष्टि से प्रभावित सभी किसानों राहत राशि उपलब्ध कराई जाए। 

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें शीघ्र लागू की जाए। 

बुंदेलखण्ड क्षेत्र में की गई घोषणा के अनुसार हर खेत में पानी उपलब्ध कराने के लिए सिंचाई के संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।

किसानों के उत्पादन का उचित मूल्य दिया जाए अन्यथा उत्पादन को मूल प्रणाली से जोड़ा जाए।

बुंदेलखण्ड क्षेत्र में अन्ना जानवरों की व्यवस्था के लिए गौशालाओं का निर्माण किया जाए। 

बुंदेलखंड में किसानों को समुचित बिजली मुहैया करायी जाए।

 

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