कोरोना काल में भी नेपाल में बढ़ी रही लग्जरी सामानों की मांग, खूब हुई खरीद
कोरोना काल ने जीवनशैली बदल दी है। जरूरतों को भी कई श्रेणियों में बांट दिया गया है। गैरजरूरी चीजों की ओर लोग कम ही रुख कर रहे हैं, लेकिन इसी कोरोना आपदा के बीच नेपाल का ट्रेंड बदला-बदला नजर आ रहा है।...
कोरोना काल ने जीवनशैली बदल दी है। जरूरतों को भी कई श्रेणियों में बांट दिया गया है। गैरजरूरी चीजों की ओर लोग कम ही रुख कर रहे हैं, लेकिन इसी कोरोना आपदा के बीच नेपाल का ट्रेंड बदला-बदला नजर आ रहा है। खाद्य सामग्रियों व रोजमर्रा के जरूरी सामानों की तुलना में नेपाल में लग्जरी आइटम खरीद बढ़ी है। दोगुना से अधिक लग्जरी आइटम भारत से ही नेपाल गए हैं।
चावल, सब्जी से अधिक बाइक-कार की डिमांड
नेपाल लंबे समय से चावल, सब्जी, दवा व कपड़ा आदि भारत से मंगाता है। अकेले सोनौली सीमा से हर रोज चार से पांच सौ के करीब मालवाहक ट्रक सामान लेकर नेपाल जाते हैं। लॉकडाउन के बाद इनकी संख्या आधी हो गई थी, लेकिन तीन-चार महीने से फिर मालवाहक बढ़ गए हैं। नेपाल के बेलहिया कस्टम में दर्ज आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान भारत से नेपाल पहुंचने वाले सामानों में खाद्य सामग्रियों, दवाओं व अन्य रोजमर्रा के जरूरी सामानों की खेप 30 फीसदी ही रही। बाकी 70 प्रतिशत में बाइक, कार, पेट्रोलियम पदार्थ, लोहे से बने सामान, मार्बल्स, टाइल्स आदि आयटम शामिल रहे।
बाहर से पैसा आने से बढ़ी है खरीद क्षमता
उद्योग व्यापार मंडल सोनौली समिति के अध्यक्ष विजय रौनियार कहते हैं कि हाल के दिनों में नेपाली लोगों में खरीद की क्षमता बढ़ी है। नेपाल के लोग जापान, कोरिया, थाईलैंड, भारत व अरब कंट्री में बड़ी संख्या में काम करते हैं। इससे इनकी आर्थिक स्थिति लगातार सुधर रही है। यही कारण है कि कोरोना काल में भी नेपाल ने खूब लग्जरी आयटम मंगाया।
जान-बूझकर लगाया जाता है गरीब राष्ट्र का ठप्पा
नेपाल के भैंरहवा विधायक संतोष पांडेय कहते हैं कि नेपाल के लोग आर्थिक तरक्की कर रहे हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय व दानदाताओं के बीच साजिशन नेपाल को गरीब राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। नेपाल के लोगों की परचेज पॉवर बढ़ी है और यह लंबे समय तक रहेगी। परचेज पॉवर बढ़ी है तो लाजिमी है कि जरूरी सामानों के साथ लग्जरी आयटम लोग खरीदेंगे।