बसपा ने तय किया चुनावी एजेंडा, ब्राह्मण और मुसलमान के साथ ही इस जाति पर भी होगा विशेष जोर
बसपा मिशन-2022 को धार देने में जुट गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनावी एजेंडा तय कर दिया है। इस एजेंडे के आधार पर ब्राह्मणों के साथ मुस्लमानों और पिछड़ों को जोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है। बसपा...
बसपा मिशन-2022 को धार देने में जुट गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनावी एजेंडा तय कर दिया है। इस एजेंडे के आधार पर ब्राह्मणों के साथ मुस्लमानों और पिछड़ों को जोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है। बसपा सेक्टर प्रभारियों को निर्देश दे दिया गया है कि वे कोविड-19 को देखते हुए वर्चुअल संवाद के माध्यम से संगठन को मजबूत करने का अभियान चलाएं।
संगठन का होगा बड़ा आकार
बसपा संगठन को मजबूत करने के लिए मंडलवार सेक्टर प्रभारी बनाए गए हैं। हर सेक्टर में मुख्य प्रभारी के अलावा जोन व सेक्टर प्रभारी बनाए गए हैं। विधानसभा स्तर पर सचिव बनाए गए हैं। बसपा अमूमन मुख्य संगठन में एससी, एसटी के साथ पिछड़ों को रखती रही थी, लेकिन वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए भाईचारा कमेटियों को भंग कर दिया गया है। भाईचारा कमेटियों में रहने वाले खासकर ब्राह्मणों को मुख्य संगठन में स्थान दिया जा रहा है। सेक्टर प्रभारियों को जिला, महानगर और विधानसभा के साथ बूथ कमेटियां बनाने का निर्देश दिए गए हैं। बसपा सेक्टर प्रभारियों से कहा गया है कि वे वर्चुअल संवाद के माध्यम से संगठन की गतिविधियों को आगे बढ़ाएं।
मंडलवार शुरू हुई बैठकें
बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर मंडलवार बैठकों का दौर शुरू हो गया है। सेक्टर प्रभारी मंडलीय बैठकों में प्रत्येक जिले को वर्चुअल संवाद या फिर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से संगठन की गतिविधियों की समीक्षा कर रहे हैं। इसमें संगठन विस्तार के बारे में विशेष कर चर्चा की जा रही है। इसके साथ ही बसपा सुप्रीमों के निर्देशों के बारे में पदाधिकारियों को जानकारियां दी जा रही हैं। बसपा सुप्रीमो साल के अंत तक संगठन को नए सिरे से तैयार कर लेना चाहती है, जिससे पंचायत चुनाव में इसे परखा जा सके। पंचायत चुनाव की सफलता या विफलता के आधार के पर संगठन में फेरबदल किया जाएगा।