यूपी: ब्लैक फंगस फिर से कर रहा वार, बीआरडी में 19 मरीजों का दोबारा करना पड़ा ऑपरेशन
कोरोना संक्रमित में ब्लैक फंगस का हमला अभी जारी है। पहले से फंगस से जूझ रहे मरीजों में यह पलटकर वार कर रहा है। इसके कारण 19 मरीजों का दोबारा फंगस का ऑपरेशन हो चुका है। इसमें से नौ मरीज ऐसे हैं जिनका...
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कोरोना संक्रमित में ब्लैक फंगस का हमला अभी जारी है। पहले से फंगस से जूझ रहे मरीजों में यह पलटकर वार कर रहा है। इसके कारण 19 मरीजों का दोबारा फंगस का ऑपरेशन हो चुका है। इसमें से नौ मरीज ऐसे हैं जिनका पहला ऑपरेशन दूसरे मेडिकल कॉलेजों में हुआ था।
कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के मामले अचानक बढ़ गए। दूसरी लहर के दौरान डायबिटीज के मरीजों में ब्लैक फंगस सबसे ज्यादा मिला। इसके अलावा ऐसे गंभीर मरीज जिन्हें इलाज के दौरान हाई डोज स्टेराइड दी गई थी। उनमें भी ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में करीब 436 मामले सामने आए। इसमें से 269 का इलाज हुआ। बाकी मामूली दवाओं से ठीक हो गए। इनमें से 168 मरीज ऐसे रहे जिनमें छोटे या बड़े ऑपरेशन की दरकार पड़ी। 68 मरीजों में बड़ा ऑपरेशन हुआ।
10 में दोबारा मिला फंगस
राहत की बात यह रही कि ब्लैक फंगस के लिए बने विशेष वार्ड में इलाज के दौरान किसी मरीज की मौत नहीं हुई। सभी मरीज इस समय फॉलोअप में हैं। वह समय-समय पर आकर अपनी जांच करा रहे हैं। इन मरीजों में 10 मरीज ऐसे भी रहे जिनमें इलाज के बावजूद फंगस दोबारा फैलने लगा। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम ने इसकी समय पर पहचान कर ली। उनका ऑपरेशन बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुआ।
दूसरे मेडिकल कॉलेज से भी आए नौ मरीज
ऐसा नहीं है कि सिर्फ बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मरीजों में ही ब्लैक फंगस ने पलटकर वार किया है। सूबे के दूसरे मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने वाले मरीजों में भी ब्लैक फंगस ने पलटवार किया है। लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ऑपरेशन करा चुके सात मरीजों में फंगस का पलटवार हुआ। बीएचयू में ऑपरेशन कराने वाले दो मरीजों में दोबारा फंगस फैलने लगा। सभी का ऑपरेशन बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुआ है।
ऑपरेशन के बाद ब्लैक फंगस का दोबारा होना असंभव नहीं है। यह मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे मामलों का इलाज किया जा रहा है। अब तक 19 मामले सामने आए होंगे। जिन मरीजों का ऑपरेशन करना पड़ा होगा। इन मरीजों को दोबारा ऑपरेशन के बाद तीन से छह महीने तक निगरानी में रखा जाएगा। उन्हें समय-समय पर आकर जांच करानी होगी।
डॉ. आरएन यादव, विभागाध्यक्ष, ईएनटी