भाजपा समर्थित अपना दल विधायक बोले- हां मैंने पहनी लाल टोपी, सपा प्रत्याशी को दिया वोट
प्रतापगढ़ के विश्वनाथगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा समर्थित अपना दल (एस) के विधायक डॉ. आरके वर्मा ने माना कि सोमवार को हुए विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी को वोट किया था।...
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प्रतापगढ़ के विश्वनाथगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा समर्थित अपना दल (एस) के विधायक डॉ. आरके वर्मा ने माना कि सोमवार को हुए विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी को वोट किया था। यह भी बताया कि विधानसभा में ही सपा विधानमंडल दल के कार्यालय में पहुंचने पर उन्होंने लालटोपी पहनी थी। इसके बाद अब उनका सपा में जाना लगभग तय माना जा रहा है।
कोरोना संक्रमण के दौरान प्रशासन को कटघरे में खड़ा करने वाले विधायक डॉ. आरके वर्मा के सपा में जाने की चर्चा जिले में कई माह से हो रही है। करीब एक माह पूर्व सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की जेठवारा के नौबस्ता में हुई सभा में डॉ. आरके वर्मा के समर्थकों की मौजूदगी ने इसे और पुख्ता कर दिया था। सोमवार को विधानसभा में डिप्टी स्पीकर के चुनाव में डॉ. आरके वर्मा के लालटोपी पहनने और सपा प्रत्याशी को वोट देने की चर्चा तेजी से होने लगी।
मंगलवार को डॉ.आरके वर्मा की सपा नेताओं के साथ लालटोपी पहने फोटो सोशल मीडिया में वायरल हुई तो चर्चाओं ने और जोर पकड़ लिया। इन सबके बीच बेल्हा की सियासत अचानक गरमा गई। इस संबंध में विधायक डॉ. आरके वर्मा से बात की गई तो उन्होंने चर्चाओं को पूरी तरह से सही करार देते हुए उसे स्वीकार किया।
विश्वनाथगंज विधायक ने बताया कि सोमवार को विधानसभा में ही उन्होंने सपा विधानमंडल दल के कार्यालय में अन्य लोगों के साथ लाल टोपी पहनी थी। यही नहीं, विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के चुनाव में भी उन्होंने सपा प्रत्याशी को अपना वोट देने की बात स्वीकारी। हालांकि विधायक ने कहा कि अभी उन्होंने सपा ज्वाइन नहीं की है लेकिन जब ज्वाइन करेंगे तो सबको बताएंगे।
बदल रहे समीकरण, कई तलाश रहे ठौर
सभी राजनैतिक पार्टियों में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने की लंबे समय से तैयारी में लगे कई लोग दूसरे दलों में भी ठौर तलाश रहे हैं। इसके लिए जिले के कई कद्दावर नेताओं का भी नाम लोगों की जुबान पर है। लोग विधायक और पूर्व विधायक के दूसरे दल के नेताओं से मिलने का दावा कर रहे हैं। ऐसे नेताओं के सपा और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकातों का भी दावा किया जा रहा है। चर्चा के अनुसार पाला बदलने के प्रयास में जुटे ऐसे लोगों में कुछ का टिकट अब संकट में दिखने लगा है तो कुछ को टिकट मिलने की दशा में जातीय और स्थानीय समीकरण हार की आशंका पैदा कर रहे हैं। जबकि दूसरे दल के समीकरण उन्हें अपने अनुकूल लग रहा है। हालांकि अभी ऐसे नेता अभी किसी के टोकने पर भी इनकार कर रहे हैं।