Lok Sabha Election 2024: पहले चरण के चुनाव में अब बस 24 घंटे से भी कम का समय रह गया है। बुधवार को प्रचार का शोर थमने के बाद सियासत के सूरमा दिल थाम कर पहले चरण के मतदान से सियासी रुख भांपने का प्रयास करेंगे। इस बार वेस्ट यूपी खासकर सहारनपुर मंडल से बही बयार प्रदेश का चुनावी मिजाज तय करने का काम करेगी तो कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने वेस्ट यूपी की पांच प्रमुख सीटों पर प्रचार में जान झोंक रखी हैं। हिन्दुस्तान ने पहले चरण की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर व नगीना सीट का जायजा लिया। इस बार के चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे कांग्रेस के इमरान मसूद, भाजपा से संजीव बालियान, प्रदीप चौधरी, सपा से इकरा हसन, रालोद से चंदन चौहान व आसपा से चंद्रशेखर आदि दिग्गजों की राजनीतिक दशा और दिशा ये चुनाव तय करेंगे। प्रस्तुत है प्रणव अग्रवाल की रिपोर्ट..
सहारनपुर दलित और मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में
तीन राज्यों से घिरी सूबे की नंबर वन लोकसभा सीट सहारनपुर कई मायनों में खास है। यहां कांग्रेस ने छह बार, भाजपा व बसपा ने तीन तीन बार जीत का स्वाद चखा है। बीते दशक की बात करें तो 2014 में मोदी लहर के चलते 16 साल बाद यह सीट भाजपा के खाते में गई थी। लेकिन, 2019 के चुनाव में इस सीट पर फिर से सपा के साथ गठबंधन में लड़ रही बसपा ने कब्जा कर लिया। दरअसल इस सीट पर दलित और मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। अबकी बार यहां सपा कांग्रेस गठबंधन ने दिग्गज नेता इमरान मसूद तो बीजेपी ने राघव लखनपाल को उतारा है। दोनों तीसरी बार आमने-सामने है वहीं माजिद अली पर बसपा की सीट बचाने की चुनौती है।
मुजफ्फरनगर 2014 से भाजपा के कब्जे में सीट
मुजफ्फरनगर सीट पर 2014 से भाजपा का कब्जा है। 2014 में बीजेपी की आंधी में यहां भाजपा के डॉ. संजीव बालियान ने 653391 वोट लेकर बसपा के कादिर राणा को रिकॉर्ड 4 लाख से ज्यादा मतों से मात दी थी। 2019 के चुनाव में संजीव बालियान ने चौ अजित सिंह को हराया था। लेकिन जीत का अंतर मात्र 6500 वोट का ही था। इस सीट पर अभी तक किसी प्रत्याशी की हैट्रिक नहीं लगी है। सपा प्रत्याशी हरेन्द्र मलिक की पहली जीत (लोकसभा) को लेकर प्रतिष्ठा दांव पर है। हरेंद्र अब तक इस सीट पर लोकसभा चुनाव में तीन बार और एक कैराना से चुनाव में उतरे थे लेकिन, जीत नहीं मिली। हालांकि वह खतौली व बघरा से तीन बार विधायक और एक बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। बसपा प्रत्याशी दारा सिंह प्रजापति मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं।
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कैराना हिन्दू, मुसलमान, गुर्जर बहुल इलाका
कैराना हिंदू और मुस्लिम गुर्जर बहुल क्षेत्र माना जाता है, कांग्रेस-सपा गठबंधन ने इकरा हसन को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो बीजेपी रालोद ने प्रदीप चौधरी को। दोनों गुर्जर हैं। बसपा ने क्षत्रिय श्रीपाल राणा पर दांव लगाया हैं। लेकिन, अब यहां की सियासत में बिरादरी से बड़ा धर्म का झोल है। लिहाजा इकरा और प्रदीप दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है। प्रदीप के सामने लगातार दूसरी बार जीतने की चुनौती है तो दूसरी ओर सपा प्रत्याशी इकरा हसन का यह पहला चुनाव है। इकरा पर विरासत बचाने का भी दबाव है। इकरा के पिता मुनव्वर हसन व मां तबुस्सम हसन इस सीट से सांसद रह चुके हैं।
बिजनौर सीट पर दिलचस्प होगा चुनाव
यहां भाजपा रालोद के प्रत्याशी गुर्जर चंदन चौहान हैं। सपा कांग्रेस गठबंधन ने दीपक सैनी तो बसपा ने यहां जाट प्रत्याशी चौ वीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है। मुस्लिम और दलित वोटर यहां निर्णायक है। राम मंदिर आंदोलन के बाद से यानी 1991 से अब तक बीजेपी 4 बार जबकि इस बीच में समाजवादी पार्टी दो बार तथा रालोद एक बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुकी है और वर्तमान में इस सीट पर बसपा का कब्जा है। जिसके सांसद मलूक नागर हैं। लोकसभा अध्यक्ष रही मीरा कुमार और मुख्यमंत्री रही मायावती भी इस सीट का एक-एक बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। ऐसे में बसपा पर सीट बचाने तो रालोद पर पुन कब्जे को लेकर, जीत प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।
नगीना चतुष्कोणीय हुआ मुकाबला
भाजपा से ओम कुमार और सपा ने मनोज कुमार पर दाव खेला हैं, वहीं आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर के आने से यहां मुकाबला रोचक हो गया है। बसपा से सुरेंद्र पाल सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। चंद्रशेखर ने दलित राजनीति में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान को मजबूत किया है। चंद्रशेखर सहारनपुर मनोज कुमार गठबंधन के सपा प्रत्याशी नगीना लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं, जो एक बड़ा चेहरा है। मनोज कुमार पूर्व अपर जिला जज हैं। इन्होंने चुनाव लड़ने के लिए 2023 में वीआरएस लिया है। उस समय उनकी पोस्टिंग बिजनौर में ही थी। वह मूल रूप से चंदोली के रहने वाले हैं।